सियासत में धर्म का तवायफों जैसा खेल ,,धर्म के तवायफ ,,लोगो को सियासत में
काफी सुर्खियां दे रहे है ,,धर्म के नाम पर सरकार बना लो ,,नफरत फैला दो
,,यह तो बढे फार्मूले है ,,लेकिन कुकुरमुत्तों के भी पंख निकले है ,,,खुद
को मंत्री बनाने की कोशिशों में ,,विधानसभा में मुस्लिम होकर ,,,जय श्री
राम का नारा लगाते है ,,महाराष्ट्र विधानसभा में खुद को कट्टर मुसलमान
साबित कर वोटो की सियासत के लिए ,,वन्देमातरम गाने से इंकार करते है
,,,मांगे पूरी क्या नहीं हुई ,दलित हो ,चाहे सफाई कर्मी हो ,,इस्लाम
धर्म ग्रहण करने की धमकी देते है ,,,,मदरसे में छद्म धर्म के नाम पर
गैरमजहबी बच्चे को नमाज़ पढ़ाते हो ,,,यात्राओं में भगवा कपड़े पहन कर भजन
कीर्तन कर यात्राएं निकालते हो ,,,,बेवजह टोपियां लगाते हो ,,,,यह सब एक
मज़हब के लोग दूसरे मज़हबो को गुमराह करने के लिए करते है ,,,इसके पीछे कोई
धार्मिक आस्था नहीं ,,कोई ह्रदय परिवर्तन नहीं ,,कोई विशाल ह्रदय ,,कोई
महानता नहीं ,,सिर्फ और सिर्फ ,,सियासत ,,सियासत है ,,यह आप भी जानते हो
,यह में भी जानता हूँ ,,मुझे भगवा वस्त्र पहनाकर मुझ से मंदिर में पूजा
करवाकर ,,कोई भी हिन्दू भाई खुश नहीं होगा ,,मेरे हिन्दू भाई मेरे आचरण
,,मेरे अख़लाक़ से ही मुझ से खुश होंगे ,,में मेरे हिन्दू भाइयो को टोपी
पहनाकर नमाज़ पढ़वाकर खुश नहीं होऊंगा ,,मेरे हिन्दू भाइयो के अख़लाक़ उनके
आचरण से ही में प्रभावित होऊंगा ,,तो भाइयो यह कड़वा सच में ,,आप और सभी
लोग जानते है तो फिर ऐसे बकवास करने वाले ,,ऐसी नौटंकी करने वाले ,,,ऐसी
भगवा यात्राये निकालने वाले ,, मज़हब को तवायफों की तरह इस्तेमाल करने वाले
लोगो के चेहरे हम उन्हें उपेक्षित ,,उन्हें तिरस्कृत कर क्यों नहीं कर देते
,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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