राजस्थान वक़्फ़ बोर्ड की बृहस्पतिवार 10 अगस्त को प्रस्तावित ग़ैरक़ानूनी बैठक
हर बार की तरह इस बार भी स्थगित कर दी गयी है ,,, बहाना पूर्व केंद्रीय
मंत्री किसान आयोग के अध्यक्ष सांवर मल जाट साहिब का बनाया गया है
,,,,प्रस्तावित बैठक का क़ानूनविदो ने इसे अवैध बताकर इसका विरोध किया था
,बैठक में कोटा ,,टोंक सहित कई ज़िलों की वक़्फ़ कमेटियों के सदर की
नियुक्तियां भी होना थे ,,जो एक बार फिर अटक गयी है ,,राजस्थान वक़्फ़ बोर्ड
में एक राज्यसभा आरक्षित कोटे के सदस्य की नियुक्ति नहीं करने के मामले
में हाईकोर्ट पहले ही बोर्ड और सरकार को कड़ी फटकार लगा चूका है ,,जबकि
जनहित याचिका में वक़्फ़ बोर्ड के विधिक गठन ,,वक़्फ़ चेयरमेन सहित दो अन्य
सदस्यों की गुणवत्ता ,,विधिक योग्यता पर सवाल उठाते हुए ,,राजस्थान
हाईकोर्ट में जो सवाल उठाये गए थे ,उस याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार कर
,,राजस्थान हाईकोर्ट ने राजस्थान सरकार को नोटिस भी जारी कर दिए है ,,जबकि
एक अन्य जनहित याचिका में वक़्फ़ विकास प्राधिकरण में तीन सदस्यों की
नियुक्ति के मामले में सुप्रीमकोर्ट के आदेशों के उलंग्घन का मुद्दा भी
उठाया गया है जिसमे सुनवाई भी होना है ,,,इसी तरह से अवैध रूप से गठित वक़्फ़
बोर्ड की अब तक की ग़ैरक़ानूनी गतिविधियों को भी ख़ारिज करने के मुद्दे
विचाराधीन है ,,वक़्फ़ बोर्ड के मुख्यकार्यकारी अधिकारी की सेवानिवृत्ति के
बाद ,,कार्यवाहक मुख्यकार्यकारी अधिकारी ने भी कई विधिक मामलों को लेकर
प्रश्न उठाये है ,,राजस्थान वक़्फ़ बोर्ड गठित होने के बाद से ही सरकार के
लिए जी का जंजाल बना हुआ है ,,पहली बार राजस्थान वक़्फ़ बोर्ड की गतिविधियों
को लेकर ,भ्रस्टाचार निरोधक विभाग ने संज्ञान लेकर ,,दर्ज परिवाद में
,,गंभीर क़दम उठाते हुए ,,राजस्थान वक़्फ़ की गतिविधियों को प्रश्नगत कर उनकी
जाँच की शुरुआत की है ,,वक़्फ़ बोर्ड की गतिविधिया रोज़ सुर्खियों में है
,,जबकि किरायेदारी से लेकर ,कमेटियों के गठन को लेकर भ्रष्टाचार का ऑडियो
भी वायरल हो चूका है ,,इधर हाईकोर्ट ने वक़्फ़ बोर्ड की गतिविधियों को लेकर
,,कई बार राजस्थान सरकार के मुख्यसचिव को हाईकोर्ट में निजीतौर पर तलब कर
फटकार भी लगाई है ,,राजस्थान वक़्फ़ विधिक प्रावधानों के तहत ,,समाजसेवक
,,वक़्फ़ के जानकार ,विशेषज्ञ को ही सदस्य नियुक्त करने का प्रावधान है
,,लेकिन वर्त्तमान वक़्फ़ बोर्ड चेयरमेन ,,सरकारी शारीरिक शिक्षक पद पर
कार्यरत थे ,,ऐसे में सरकारी कर्मचारी किसी भी समाजसेवा ,, सियासी तंज़ीम
का पदाधिकारी ,हिस्सेदार हो ही नहीं सकता ,,फिर उन्हें तत्काल इस्तीफा देकर
किस तरह से समाजसेवक ,,मुस्लिम मामलो ,,मुस्लिम विधि वक़्फ़ मामलो का
जानकार बता कर ,,उन्हें वक़्फ़ का सरकारी प्रतिनिधि सदस्य नियुक्त कर चेयरमेन
बनादिया गया यह सवाल भी जनहित याचिका में उठाया गया है ,आर एस एस के संगठन
मुस्लिम राष्ट्रिय मंच की वेबसाइट के अनुसार ,,अबूबकर नक़वी ,,राष्ट्रिय
मुस्लिम मंच के राष्ट्रिय संयोजक भी है ,,लेकिन उनका मुस्लिम मंच ,आर एस
एस से सरकारी कर्मचारी होते हुए जुड़कर रहना ,,,उन्हें वक़्फ़ क़ानून में दी
गयी योग्यता के अनुरूप ,पूर्व बक़ायादारी ,,किराएदारी के आरोपों के चलते
उन्हें ,,वक़्फ़ प्रदेश सदस्य की सदस्य नियुक्ति की विधिक पात्रता नहीं देता
है ,,यह मामले भी जनहित याचिका में सुनवायी के वक़्त उठाये जाएंगे
,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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