प्रणव मुखर्जी देश में घोषित असंवैधानिक कार्य करने वाले राष्ट्रपति थे जो
सेवानिवृत हो गए,,जिन्हे वोह शपथ दिलाकर ,,जिन्हे वोह आदेशित कर हाईकोर्ट
का जज बनाते है ,,उन्होंने ही कई मामलो में उनके आदेश को उलट दिया और लागू
भी करवाया ,,इससे साफ़ ज़ाहिर है ,,उन्होंने प्रधानमंत्री की सिफारिशों को
बिना किसी विधिक विचार विमर्श के आदेश को जस का तस रखा ,,कोई माइंड एप्लाई
नहीं किया ,,ऐसा उन्होंने क्यों किया यह तो पता नहीं ,,लेकिन उत्तराखंड
राष्ट्रपति शासन सहित कई आदेशों को हाईकोर्ट द्वारा उलटना इसके पुख्ता
सुबूत है के उन्होंने विधिक समीक्षा किए बगैर प्रधानमंत्री की हाँ में हाँ
मिलकर आदेश किये थे ,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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