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05 जुलाई 2017

"आईपीएस अधिकारी एंव अपराधिक माइडंसेट " -------------------



"30 जुन 17 को केरला के डीजीपी टीपी सेनकुमार ने रिटायरमेंट के दिन एक वक्तव्य जारी किया जिसमें उन्होंने कहा की : "क्रिमिनल आईपीएस में ज़्यादा हैं बजाय कांस्टेबल" इसके लिए उन्होंने १ प्रतिशत के लगभग कासंटेबल एंव उसके ऊपर के स्टाफ़ को अापराधिक माइंडसेट का तथा ४ प्रतिशत से अधिक आईपीएस अधिकारियों को अापराधिक माइंडसेट का बताया । "
"मेरा मानना एंव अनुभव पुलिस की आठ वर्षों की सर्विस एंव केन्द्र सरकार एंव अन्य सर्विस के 10 वर्षों का कुल 18 वर्षों का है कि आईपीएस में लगभग 20 % अापराधिक माइडंसेट एंव लगभग 10% नीचे स्तर पर अधिकारी एंव जवान अापराधिक माइडंसेट के हैं । 20 % आईपीएस जो आपराधिक नेचर के है उनका प्रभाव लगभग 90 % अन्य आईपीएस अधिकारियों एंव पुरी फ़ोर्स , समाज पर येनकेन पड़ता रहता है तथा 10 %
आपराधिक नेचर के जवानों का प्रभाव लगभग 50 % जवानों एंव अन्य को प्रत्यक्ष अप्रत्याशित रुप से प्रभावित करता है ।"
"हाल के वर्षों में राज्य के कुछ वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों को मैनें चिन्हित किया है जो पूर्णत : अापराधिक नेचर , बेईमान , पद का अधिकतम दुरुपयोग करने वाले एंव हर प्रकार से भ्रष्ट हैं । कईयों के चेहरे उजागर किये गये है कईयों के खिलाफ जाचं विचाराधीन है । इनकी अधिक संखया इसलिए भी है क्योंकि इनको पर्याप्त संरक्षण मिला हुआ है ये हर प्रकार की गंदगियों से पुलिस विभाग , समाज एंव अंतत: देश का नुक़सान कर रहे है ।
"एक उदाहरण से बात को रखने का प्रयास कर रहा हुँ पिछले वर्ष राज्य के एक अतिरिक्त महानिदेशक स्तर के अधिकारी के तमाम अनियमितताओं , भ्रष्टाचार की गतिविधियों को मय साक्ष्यों , दस्तावेज़ों के शासन सचिवालय एंव अन्य संबँधित एजेंसी को भेजा गया पर पर्याप्त संरक्षण की वजह ये सभी जाचं , परिवाद पैडिगं है । बिना न्यायालय के एेसे आपराधिक गतिविधियों में लिप्त भ्रष्टों पर नियंत्रण संभव प्रतीत नहीं होता दिख रहा है ।
"इस दलाल एंव चाटुकार अधिकारी के खिलाफ इसकी पहली नियुक्ति में सीमा के एक जिले में पुलिस अधीक्षक रहते हुये तस्कर से ६ किलो सोने का ग़बन , तस्करों से साँठगाँठ , तमाम भुमाफियों से मिलकर राज्य की तमाम ज़मीनों पर क़ब्ज़ा , जातिवाद का घोर प्रसार पुलिस फ़ोर्स में करने का प्रयास , अधिकारियो एंव जवानो के जाति के आधार पर बाटनें का प्रयास , चाटुकारिता की सभी हदों को पार करते हुये आईपीएस पद की गरिमा को तार -तार करना , जुनियर आईपीएस अधिकारियों को एेनकेन चाटुकार एंव दलाली के संस्कार डालने का प्रयोजन आदि -आदि ।
" हाल में एक फ़र्ज़ी पत्रकार को इस दलाल अधिकारी ने बूंदी से जयपुर आमंत्रित किया । इस पत्रकार को मैने पुलिस अधीक्षक बूंदी रहते हुये जेल भेजा था । प्रकरण पूर्व की एक महिला डीएम ने इसके खिलाफ मुक़द्दमा दर्ज कराते हुये इसका लाइसेंस निरस्त किया था उस प्रकरण में यह मेरे कार्य काल में जेल गया । हाल में इस तथाकथित दलाल आईपीएस को बूंदी जिले का निरीक्षण करना है । अत: इस आपराधिक नेचर के आईपीएस ने उस पत्रकार को आमंत्रित किया ताकि जब वह बूंदी जिले में निरीक्षण को जाये तो इस पत्रकार के माध्यम से नकारात्मक प्रयोजन के तहत कुछ गंदगी की जा सके । यह तो सिर्फ़ एक उदाहरण है राज्य के एेसे कई दलालों के उदाहरण है जो राज्य पुलिस का हिस्सा हैं । ✍🏻जयहिदं ✍🏻
पंकज चौधरी ( आईपीएस )

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