आदरणीय मित्रो कोटा के सड़को पर आज़ाद विचरित करते आवारा पशु ,,मोत के सौदागर
,,नरभक्षी बन गए है ,,पिछले दिनों ,,तीन मोते हो चुकी है ,,एक सांड ने
इनमे से एक नमाज़ी को उछाला था ,,तो भक्तजनो ने इसे ,,,मज़हब से जोड़कर ,,नमाज़
पढ़कर आ रहे बुज़ुर्ग को सांड द्वारा उछालने पर ,,सोशल मिडिया पर खुशियां
मनाई थी ,,यह उनकी मानसिक विकृति का परिचायक था सभी पहचानते है क्योंकि
,,बेज़ुबान जानवर को जब सिर्फ नाम से माँ कहा जाता है ,,उसे उपेक्षित रखा
जाता है ,,भूखा प्यासा रखा जाता है ,सड़को पर दूध निकाल आकर आवाराओं की तरह
से खानाबदोश ज़िंदगी जीने के लिए गंदगी खाने के लिए छोड़ दिया जाता है तो
स्वाभाविक है माँ कहने वाला गोवंश ,,ऐसी उपेक्षा ,,ऐसी उपेक्षित आपराधिक
मानसिकता ,,जिसमे जुबांन से सिर्फ वोटों के लिए सिर्फ ,सियासत के लिए माँ
कहा जाए और उसे दर दर की ठोकरें खाने के लिए छोड़ दिया जाए ,ज़माना उसे आवारा
कहे ,,न खाना ,,न पानी ,,न सेवा सुश्रुषा ,,बस ऐसे पशु बेहाल रहे ,,तो फिर
स्वाभाविक रूप से ऐसे बेज़ुबान पशु जो हमे दूध देकर पालते है ,,हमे गोबर
,,और अन्य उपयोगी सामग्री देकर रोज़गार देते है ,पतंजलि जैसे उद्योग को
पनपाते है ,,अगर वही बेज़ुबान जानवर सिर्फ सियासत और सिर्फ सियासत की वजह
बन जाये ,,उसके हमले को हिन्दू मुस्लिम में बाँट दिया जाए तो ऐसा जानवर
हिंसक नरभक्षी हो सकता है ,,क्रोध इंसान को ही नहीं जानवर को भी आ सकता है
,,एक माँ कहकर उसका अपमान ,,उसकी उपेक्षा उसे भूखा प्यासा छोड़ देने पर
गोभक्तो से नाराज़ होकर ऐसा बेज़ुबान अहिसवादी जानवर भी हिंसक हो जाता है
,,जी हाँ दोस्तों एक बुज़ुर्ग साठ वर्षीय माँ ,,मधु ,,घर से स्वस्थ निकली
,,थी लेकिन ,,माँ कहकर ,,उपेक्षा करने से नाराज़ गोवंश की एक अहिंसक गांय
ऐसी हिंसक हुई के उसने इस बुज़ुर्ग महिला को गुस्से में उछाल उछाल कर सरे आम
फेंका इतना ही नहीं ,,उसे पेरो तले रौंद डाला ,,और जब तक इस बुज़ुर्ग महिला
ने दम नहीं तोड़ दिया तब तक ,,मां कही जाने वाली यह गांय अपने पेरो तले इस
बुज़ुर्ग महिला को रोंदती रही ,,रोंदती रही ,दोस्तों यह घटना किसी सियासत से
मत जोड़ो ,,किसी धर्म मज़हब से मत जोड़ो ,,लेकिन चिंतन ज़रूर करो ,,जिस गौ वंश
के नाम पर सियासत करके कुछ लोग निर्दोष लोगो की हत्या कर रहे है ,,जिस गो
वंश के नाम पर टेक्स के नाम पर राजस्थान सरकार ,,गोवंश दस प्रतिशत टेक्स
लेकर करोडो करोड़ रूपये सरकारी खज़ाने में जमा करा चुकी है ,,कोटा नगरनिगम
में करोडो करोड़ रूपये का वेतन पाने वाला गोवंश को सड़को से गोशाला में रखने
के लिए कर्तव्यबद्ध स्टाफ है ,,सड़को पर पुलिस अधिनियम में पुलिस की
ज़िम्मेदारी है ,,ऐसे आवारा जानवरो के मालिकों के खिलाफ मुक़दमा दर्ज हो
,,गोपालको से शुल्क लेकर नगरनिगम उन्हें पट्टा जारी करे जो सिर्फ अपने घरो
तक सीमित रहे ,,कलेक्टर केटल ट्रेसपास एक्ट के तहत ,,ऐसे जानवरो को पकड़कर
गोशाला में बंदकरवाने के लिए दायित्वाधीन है ,,ऐसे लोग जो अपने जानवर को
दूध निकालकर भूखप्यासा छोडते है उनके खिलाफ या उनके द्वारा हिंसा होती है
,,उनके खिलाफ पशु क्रूरता अधिनियम के तहत मुक़दमा दर्ज कर कार्यवाही करने
का प्रावधान है ,,लेकिन ऐसा करने से वोट नहीं मिलते ,,,सरकारी अधिकारी मज़े
नहीं कर सकते ,,सियासत नहीं चल सकती ,,दोस्तों सड़को पर माँ कहीं जाने वाले
इस बेज़ुबान पशु गांय की सड़को पर हिंसा ,इस पशु के नाम पर सड़को पर हिंसा
नतीजा सड़के लहूलुहान ,और हम ऐसी घटनाओ को व्यवस्थाओ से जोड़कर दोषी लोगो के
खिलाफ कार्यवाही करवाने की कोशिश करने की जगह सिर्फ और सिर्फ हंसी मज़ाक़ या
फिर धर्म मज़हब से जोड़कर इतिश्री कर लेना चाहते है ,,हमे शर्मसार होना चाहिए
ऐसी घटनाओ पर जिसमे हम एक शहर को स्वस्थ जीवन जीने की व्यस्था न दे सके
,,एक स्मार्ट सिटी की सड़को पर बुज़ुर्गों का आम आदमी का सुरक्षित चलना
मुश्किल ही नहीं ,नामुमकिन हो जाए ,,मेरे प्यारे मित्रो ,,एक सांड द्वारा
नमाज़ पढ़कर आ रहे बुज़ुर्ग को उछाल कर फेंकने की घटना पर धर्म से जोड़कर
खुशियां बनाने वाले भक्तजनो ,,अगर ज़रा भी इस देश ,,इस देश की व्यवस्था ,,इस
देश के आम आदमी ,,इस देश के गोवंश के संरक्षण का दर्द आपके सीने में है तो
विनम्रता से सोचना ज़रूर ,,,चिंतन करना ,,और करोडो करोड़ रूपये गांय टेक्स
के नाम वसूलने के बाद भी भाजपा के शासन में गोवंश की ऐसी विकृति ,ऐसी
दुर्दशा क्यों है ,,क्यों गांय सिर्फ और सिर्फ एक सियासत ,,एक हिंसा का पशु
बनकर रह गया है ,,इस पर चिंतन ज़रूर करना मेरे भाइयों ,,,,अख्तर खान अकेला
कोटा राजस्थान
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