मेरे एक मित्र बारां पुलिस अधिकारी के नाते ,,ट्रेफिक नियमों के तहत
,,हेलमेट के लिए ,,गांधीगिरी आंदोलन चला रहे हैं ,,जबकि पुलिस अधीक्षक कोटा
के बदलते ही ट्रेफिक पुलिस कोटा ,,गलियों ,,और अंदर पुराने कोटा में भी
तलाश कर लोगो की हेलमेट के नाम पर बढ़ी मासूमियत से गांधी छाप को लेकर धरपकड़
का खौफ बना रही है ,,में कहता हूँ ,,,फार्मूला चलाओ हर दुपहिए वाहन चालक
को हेलमेट पहनाओ ,,बस एक सप्ताह ,,कोटा की ,,बारां की सड़को पर ,,चौराहे पर
,,कार मालिकों को रोको उनके दस्तावेज चेक करो ,,सीट बेल्ट पहन
रखी है या नहीं देखो ,,कार चलाते वक़्त मोबाइल पर बात कर रहे है या नहीं
,,,शराब पीकर तो कार नहीं चला रहे ,,काले शीशे तो नहीं लगे ,, सीट बेल्ट
नहीं लगा रखी हो ,,,कागज़ों में कमी हो ,,तो बस चालान बनाते रहिये ,,एक
सप्ताह तक ईमानदारी से यह अभियान चलाइये ,,छोटे ,,दुपहिए वाहन चालक तो यह
ईमानदारी देखकर वैसे ही काबू में आ जाएंगे ,,और बस सभी नियमों का पालन करने
लगेंगे ,,दिक़्क़त वहां है जहाँ ,,मोटरवाहन अधिनियम जो सभी के लिए बना है
सिर्फ दुपहिए वाहन वालों के लिए ही बनकर रह जाता है ,,ऐसे में दुपहिया
वाहन पक्षपात पूर्ण कार्यवाही मनाकर फ्रस्ट्रेट हो जाते है ,,जबकि क़ानून की
निगाह में चार पहिये और दुपहिए के अपराध एक होना चाहिए ,, अब तक तो कार
चालक की सीट बेल्ट चेक करते किसी ट्रेफिक पुलिस कर्मी को नहीं देखा ,,
कारचालक के दस्तावेज चेक करते हुए भी किसी को नहीं देखा तो यह दोहरी निति
छोड़े ,,सभी क़ानून की पालना करने लगेंगे ,,,,,फिर कोटा हो ,,चाहे बारां
,,चाहे कोई भी शहर हो सभी शत प्रतिशत नंबर पर आ जाएंगे ,,,,,,,,अख्तर खान
अकेला कोटा राजस्थान

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