ट्रिपल तलाक़ एक साथ बिना किसी युक्तियुक्त कारण के ,,समझाइश किये बगैर
,,सुर ऐ अन्नीसा प्रोसेस पूरा किये बगैर क़ुरआन में भी इंकार है ,,तो फिर
सुप्रीमकोर्ट भी एक साथ बिना किसी समझाइश के ,,बिना किसी युक्तियुक्त कारण
के ,,बोलकर ,,लिखकर ,उच्चारित कर ,,,पत्नी और पंचो की उपस्थिति के बगैर दिए
गए किसी भी ट्रिपल तलाक़ को मंज़ूर नहीं करेगा ,,क़ुरान का हुक्म सुप्रीम
कोर्ट पूर्व फैसले शमीम आरा बनाम स्टेट ऑफ़ उत्तरप्रदेश वाले मामले की तरह
ही फैसला रख सकता है ,,जिसमे आनंद नारायण मुल्ला और कई मुस्लिम
क़ानून की किताबे लिखने वाले ,,लेखकों की किताबों में तलाक़ जो गलत लिखा
अध्याय हटाने और ,,सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार ,,सुर ऐ अन्नीसा सहित दूसरी
क़ुरानी आयतो में अंकित प्रक्रिया से ही तलाक़ का अध्याय पढ़ाने का आदेश दिया
था ,,,,,इन्तिज़ार कर लो ,,लॉजिकली तो यही आदेश है ,,जो व्यवहारिक भी है
इस्लामिक भी है और मानवीय भी है ,,बाक़ी फेंक कर मारे गए तलाक़ तो आज तक किसी
भी अदालत ने स्वीकार नहीं किया ,,और हर मुक़दमे में पत्नी मानकर उसे
गुज़ाराखर्च सहित सभी सुविधाएं दिलवाई गयी है ,,,फिर हंगामा क्यों बरपा है
,,थोड़ी सी जो सियासत जोड़ी है ,,,,,इसलिए कहता ,हूँ ,,खोद लो पहाड़ ,,निकलेगी
तो यही चुहिया ,,वोह भी मरी हुई ,,,,,,,,अख्तर
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