Sr Advocate. Brahmmanand Sharma ki aek post hu bahu.. कल मेरे दफ्तर में
एक पीड़ित मुस्लिम महिला का अजीब मामला आया ,,में क़ानून की किताबों में
उसका जवाब अब तक खोजने में लगा हूँ ,,एक मुस्लिम महिला ,,,जिसे उसके पति ने
काफी दिनों से छोड़ रखा है ,,,,उसका भेजा रजिस्टर्ड पत्र वोह मेरे पास लेकर
आयी ,,,,पत्र में ,,पति ने लिखा था ,,,,,में तुम्हे ट्रिपल तलाक़ ,,मुस्लिम
क़ानून में इंकार होने ,,सुप्रीम कोर्ट द्वारा ,,क़ुरान की आयत ,,सुर ऐ
अन्नीसा में दिए गए ,,दिशा निर्देशों के अनुरूप शमीम आरा वाले
मुक़दमे में दिशा निर्देश होने से में वैसा तलाक़ तुम्हे दे नहीं सकता
,,,इसलिए ,,में तुम्हे जसोदा बहन के पति नरेंद्र भाई दामोदरदास की तरह
राष्ट्रहित परित्याग कर रहा हूँ ,,,में जसोदा बहन को जैसे उनके पति ने
बिना तलाक़ के छोड़ा है ऐसे ही राष्ट्र के कामो में लगने की वजह से तुम्हे
,,राष्ट्रहित में छोड़ रहा हूँ ,,मुझे माफ़ करना ,,तुम्हारा स्त्रीधन घर पर
रखा है ,,वहां से ले जाना ,,,,उक्त इबारत के साथ इस अघोषित तलाकनामे को देख
कर में विधिक रूप से हैरान ,,था ,,सोचता था ,अब इस महिला को कैसे न्याय
दिलाऊं ,,इसका पति तो राष्ट्र के हित में इसे छोड़ रहा है ,,,लेकिन फिर भी
मेने उसे घरेलु हिंसा की कार्यवाही में मामला परिभाषित होने से ,,मुक़दमे
के लिए बुलाया है ,,,,,,,एडवोकेट ब्रह्मानन्द शर्मा कोटा
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