आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

22 मार्च 2017

तुम रोज़

तुम रोज़ चेहरे बदलते हो ,,
तुम रोज़ खुद को बदलते हो ,,
तुम रोज़ इरादे बदलते हो ,,
में ही न समझ सका यह सच
तुम मुझे भी बदलोगे एक दिन ज़रूर ,,,अख्तर

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...