तुम्हे याद दिलाऊं
तुम और हम दोनों ,,
एक दूसरे से
टूट कर मिले थे
सिर्फ अटूट होने के लिए ,
तुम्हारे ज़हन में
तुम्हारे दिल में
हम कभी थे ही नहीं
तुमने आज यह बता दिया ,,अख्तर
तुम और हम दोनों ,,
एक दूसरे से
टूट कर मिले थे
सिर्फ अटूट होने के लिए ,
तुम्हारे ज़हन में
तुम्हारे दिल में
हम कभी थे ही नहीं
तुमने आज यह बता दिया ,,अख्तर
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)