वकीलों का दर्द देखिये , ,,पक्षकारो को बिना वकील के ,,मनमर्ज़ी तरीके से 
प्रताड़ित किया जाता है ,,और वकील है के कुछ मदद ही नहीं कर सकते ,,,एडवोकेट
 एक्ट में स्पष्ट प्रावधान है के ,,जहां साक्ष्य विरचित होती है ,वहां 
अधिकार के रूप में एडवोकेट उपस्थित ,  होगा ,,लेकिन राजस्थान हाईकोर्ट के 
दिशा निर्देशो के बाद भी यहां फेमिली कोर्ट में ,,वकीलों की उपस्थिति को 
लेकर वही पँगेबाज़ी होती है ,,बिना वकील के किस तरह की सुनवाई ,,किस तरह की 
जिरह ,,किस तरह की ट्रायल ,,अगर कैमरे लग जाए ,,वहां उपस्थित
 महिलाओ ,,पक्षकारो का दर्द गुप्त  कैमरे में राजस्थान हाईकोर्ट अगर केद 
करवा ले तो निश्चित रूप से ,,,हाईकोर्ट ऐसी कोर्ट जहां वकीलों की 
अनुपस्थिति है वहां न्याय हित में वकीलों की उपस्थिति आवश्यक कर दे ,,एक 
लॉजिक निचली अदालत में वकील नहीं ,,जहां मेटेरियल एकत्रित हो रहा है 
,,लेकिन अपील ,रिविज़न में हाईकोर्ट के समक्ष वकील ही पैरवी करते है ,तो 
जनाबी ,,वकीलों को मान सम्मान देकर अगर उनकी उपस्थिति ,,पक्षकार की पैरवी 
करने से नहीं रोके ,,एडवोकेट एक्ट में दिए गए उनकी पैरवी के अधिकार को बहाल
 कर दे तो फिर कल बृहस्पतिवार को कोटा फेमिली कोर्ट में वकीलों के वोट से 
जीत कर गए एक पदाधिकारी की वकीलों को पैरवी की छूट की बात करने के बाद उपजा
 विवाद कहीं नहीं होगा ,,,चलो किसी पदाधिकारी ने तो वकीलों के इस दर्द को 
उठाया ,,पक्षकारो को इंसाफ दिलाने के लिए क़दम आगे बढ़ाया है ,,,नतीजा 
,,तरीक़ा जैसा भी हो ,,लेकिन एक पहल तो हुई ,,,अख्तर खान अकेला कोटा 
राजस्थान

 
 

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