मेरे अलफ़ाज़ बेबस
मेरी क़लम लाचार है
तुम साहिबा हो
चाहे हो जललाद
बस चले आओ
बस चले आओ ,,
मेरे अलफ़ाज़ हो गए अनाथ
मेरी क़लम हो गयी बेकार
अब न ज़ुल्फ़ों के किस्से है
अब ना झील सी आँखों की कहानी है
अब न तेरी कहानी है ,,
मेरे लिए न सही
मेरी क़लम ,मेरे अल्फ़ाज़ों को
ज़िन्दगी देने के लिए तुम फिर चले आओ ,,अख्तर
मेरी क़लम लाचार है
तुम साहिबा हो
चाहे हो जललाद
बस चले आओ
बस चले आओ ,,
मेरे अलफ़ाज़ हो गए अनाथ
मेरी क़लम हो गयी बेकार
अब न ज़ुल्फ़ों के किस्से है
अब ना झील सी आँखों की कहानी है
अब न तेरी कहानी है ,,
मेरे लिए न सही
मेरी क़लम ,मेरे अल्फ़ाज़ों को
ज़िन्दगी देने के लिए तुम फिर चले आओ ,,अख्तर
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)