उत्तरप्रदेश काशीपुर की एक पीड़ित पत्नी जो दो बच्चो की माँ है ,,दहेज़ 
प्रताड़ना के बाद ट्रिपल तलाक़ के मामले में अपने पति इलाहबाद निवासी  
प्रोपर्टी डीलर रिज़वान के खिलाफ इंसाफ मांगने किसी गलत वकील के पास क्या 
पहुंची के बस ट्रिपल तलाक़ जो पूर्व में ही अवैध घोषित था उसको लेकर एक 
बावेला खड़ा हो गया ,,शायरा बानो जिसकी शादी 2002 में हुई पति ने उसे 
प्रताड़ित किया कार्यवाही हुई ,,दो बच्चे एक लड़का एक लड़की का साथ था ,,इसी 
बीच शायरा बानो को जवानी में ही तलाक़ दिया गया ,,मुफ़्ती वगेरा ने इसे विधिक
 बताया ,,हलाल की बात हुई ,,लेकिन भाई अरशद को गवारा न था ,,वोह अपनी बहन 
को इन्साफ दिलाने के लिए एक बढ़ी क़ानूनी लड़ाई के लिए निकल पढ़ा ,,बस गलती हुई
 ,,गलत क़ानूनी सलाह की ,,हिंदुस्तान में मुस्लिम पर्सनल लॉ  में कुछ 
नोसिखिये मौलानाओ और मुस्लिम पर्सनल  विधि में तलाक़ का चेप्टर लिखने वाले 
लेखको के खिलाफ पहले ही सुप्रीम कोर्ट शमीम आरा वाले मामले में वर्ष २००२ 
यानी जब शायरा का निकाह  हुआ था टिपण्णी कर चूका था ,,के क़ुरान में दिए गए 
हुक्म के खिलाफ कोई भी तलाक़ मान्य नहीं है ,,सुप्रीम कोर्ट के जजो ने क़ुरआन
 शरीफ की आयत सुर ऐ अन्निसा का अवलोकन कर   कुछ उलेमाओ से मशवरा कर विश्व 
के सभी तलाक़ मामलो को देखा और पाया के ,,क़ुरआन की आयत सूर ऐ अन्निसा में 
तलाक़ की पूरी प्रक्रिया बतायी गयी है ,,,दूसरी तलाक़ प्रक्रियाए जटिल और 
नामुमकिन सी है लेकिन तीन तलाक़ आसान है ,,उसके लिए क़ुरआन के हुक्म से कहा 
गया के  पति पहले किसी भी मुद्दे पर नाराज़गी होने पर समझाईश करेगा  ,,बीवी 
के साथ सोना छोड़ेगा ,,फिर हल्की मार मारेगा ,,फिर भी अगर पत्नी नहीं मानती 
है तो पति अपने व् पत्नी के रिश्तेदारो को बिठायेगा ,समझाईश होगी और अगर इस
 समझाइश के बाद भी ,,पत्नी नहीं मानती है ,,कोई समझाइश सफल नहीं होती है तो
 पति पत्नी को लिख कर ,,बोलकर ,,उच्चारित कर कम्युनिकेट करते हुए तीन तलाक़ 
दे देगा ,,,फिर सम्बन्ध विच्छेद हो जाएगा ,,सुप्रीम कोर्ट ने इस शमीम आरा 
वाले आदेश में केंद्र सरकार से यह भी कहा था ,,के क़ानून की किताबो में 
मुस्लिम तलाक़ का चेप्टर क़ुरआन की  आयत ,,सुर ऐ अन्नीसा ,,की रूह से निकले 
सिद्धांत के विपरीत है ,,इसलिए देश में मुस्लिम पर्सनल लो क़ानून की किताबो 
में से यह चेप्टर इस आदेश के तहत संशोधित कर पढ़ाया जाए ,,केंद्र सरकार ने 
,,विधि विशेषग्यो ने मुस्लिम क़ानून को क़ुरआन की रूह के मुताबिक़ नहीं किया 
,,इधर शायरा बानो को सम्पूर्ण विधिक मदद नहीं मिली वरना ,,निचली अदालत से 
ही इस मुद्दे पर तीन तलाक़ अवैध घोषित हो जाती ,,लेकिन बस मामले को सेंसेशनल
 बनाने ,,मामले को खबर बनना था ,,मुद्दा पहले निर्णीत हो चुके मुद्दे के 
बाद फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा ,,फिर फूल बेंच में गया ,,,मामला एक पति 
पत्नी के बीच का था ,,लेकिन अब समाज को हो गया ,,देश का हो गया ,,मुस्लिम 
पर्सनल लो बोर्ड जो ,,मुस्लिम शरीयती रिवायत के खिलाफ मुस्लिम रिवाजो का 
मज़ाक़ उड़ाने के लिए बनाई गयी फिल्म तलाक़ पर चुप रहा जिसमे तीन तलाक़ फिर 
हलाले का मुद्दा उछाला गया था ,,गुस्से में तलाक़ ,,बिना समझाईश की तलाक़ 
,,लेकिन इस फिल्म ने भ्रांतिया पैदा की ,,,कुछ नहीं बोलने का नतीजा रहा के 
समाज में बिगाड़ शुरू हुआ ,,जो आज तक चल रहा है ,,,अब शायरा बानो अपने 
अस्तित्व के लिए मैदान में है ,,लेकिन कोई भी हो सुप्रीम कोर्ट हो ,संविधान
 हो ,,देश ,,विश्व का की भी शख्स क़ुरान शरीफ में लिखे कानून को नहीं बदल 
सकता ,, अल्लाह ने पहले ही लिखित में ,,सुर ऐ अन्निसा में इस मुद्दे को तय 
कर दिया है ,,और क़ुरआन में दिए गये सिद्धांत के खिलाफ कोई भी तलाक़ मंज़ूर 
होना ही नहीं चाहिए ,,सुर ऐ मायदा में ,,महर दिए बगेर अपनी बीवियों को मत 
छुओ ,,लेकिन अदालतों में महर के लिए हज़ारो हज़ार औरते दर दर की ठोकरे खाती 
नज़र आती है ,,ऐसे मर्दो के खिलाफ शरीयत के उल्न्न्घन पर कठोर सजा का क़ानून 
बनाने की भी हमे मांग करना चाहिए ,,ताकि इद्दत की अवधि में भूखे मरने को 
मजबूर औरत को क़ुरआन  हिदायते और हुक्म के मुताबिक़ दिए जाने वाले इंसाफ में 
रोढा अटकाने वाले लोगो को सजा दिलवाई जा सके ,,बेशक क़ुरआन के क़ानून ,शरीयत ऐ
 मोहम्मद में किसी को भी दखल अंदाज़ी का हक़ नहीं इसकी मज़म्मत करना चाहिए 
लेकिन जो इसके खिलाफ होगा उसे सज़ा भी मिले इसकी हमे कोशिश करना चाहिए फिर 
चाहे वोह औरत हो ,,मर्द हो ,,अमीर हो ,,गरीब हो ,,मोलवी हो ,,मुफ़्ती हो 
,,आम आदमी हो ,,लड़ते है मिलकर हम सब इस लड़ाई को ,,,अख्तर खान अकेला कोटा 
राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
22 अक्टूबर 2016
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)

 
 

अब समझ में आया
जवाब देंहटाएंसही कानून का गलत आंकलन
सादर