राजस्थान सरकार द्वारा राज्य में आम लोगो को संवैधानिक हक़ देने में आनाकानी
की जा रही है ,,हालात यह है के गेर क़ानूनी तरीके से यहां बच्चो के और
दलितों ,,अल्पसंख्यको के संवैधानिक अधिकार छीन लिए गए है ,,राजस्थान सरकार
द्वारा संचालित शिक्षण संस्थाओ में ,,मातृ भाषा शिक्षण व्यवस्था ,,,तहस
नहस किये जाने से ,,,रॉजस्थान में सँवैधानिक प्रावधानों का ,,खुला उलंग्घन
हुआ है इस कारण यहां अब ,राष्ट्रपति शासन के आलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं
बचा है ,,,,,,प्रदेश कोंग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के कोटा सम्भाग चेयरमेन
अख्तर खान अकेला ने इस मामले में राजस्थान सरकार की संवैधानिक व्यवस्था भंग
हो जाने से यहां सरकार को बर्खास्त कर ,,राष्ट्रपति शासन लागू करने के
मामले को लेकर ,,राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा है ,,,,,,,,अख्तर खान अकेला ने
ज्ञापन में कहा के राजस्थान सरकार ,,संवैधानिक भाषा ,,उर्दू ,,सिंधी
,,पंजाबी को टारगेट बनाकर गेर संवैधानिक तरीके से खत्म करने के प्रयासों
में है ,,इसका सबसे ज़्यादा नुकसान ,,उर्दू को हो रहा है ,,,,,अख्तर खान
अकेला ने कहा के भारत में उर्दू के संरक्षण के लिए 1958 में संवैधानिक
समिति बनाई गयी थी ,,,इसके पहले 30 जुलाई 1957 को इस मामले में आवश्यक
निर्देश जारी किये गए ,,,,भारत के संविधान की आठवी अनुसूची में उर्दू को
शामिल किया गया ,,भारत के संविधान की उर्दू भाषा ,,जो दिल्ली ,,उत्तरप्रदेश
,,झारखण्ड ,,बिहार ,,तेलगाना सहित कई राज्यो की दूसरे नम्बर की सरकारी
भाषा भी है ,,इस उर्दू को राजस्थान में योजनाबद्ध तरीके से खत्म किया जा
रहा है ,,एक तरफ तो संविधान में उर्दू ,,सिंधी ,,पंजाबी भाषा को संरक्षित
करने के लिए राष्ट्रपति को संरक्षक बनाया गया है ,,,देश भर में इन भाषाओ के
संरक्षण अधिकारी की नियुक्ति का प्रावधान है ,,,गुजराल समिति ने इन
प्रावधानों को खुलासा किया ,,सच्चर आयोग ने इन्हें लागू कर सभी ज़ुबानों की
आज़ादी बहाल करने की रिपोर्ट दी और जस्टिस रंगनाथ मिश्र ने तो इन ज़ुबानों
,,इन भाषाओ को बचाने के लिए तत्काल ,,क़दम उठाने के गम्भीर सुझाव दिए ,,सभी
सरकारे इस मामले में चुप्पी साधे रहीं ,,लेकिन राजस्थान में इस मामले में
योजनाबद्ध तरीके से गैरक़ानूनी शिक्षा नियमो के नाम पर ,,परिपत्रो के नाम पर
उर्दू के खिलाफ साज़िशें रची जा रही है ,,यहां इन नियमो को विधानसभा में भी
पारित नहीं करवाया गया है ,,,,राजस्थान सरकार ने इस मामले में सभी नियम
,,संवैधानिक प्रावधान निर्देशो सहित सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशो को ताक़
में रख दिया है ,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला ने कहा के उर्दू हमारी मादरी
जुबांन है जिसे संवैधानिक दर्जा देकर आठवीं अनुसूची में भी शामिल किया गया
है ,,,,राजस्थान में कई उर्दू मीडियम स्कूल बन्द कर दिए गए ,,उर्दू के पद
समाप्त कर दिए गए ,,उर्दू एकेडमी का गठन नहीं किया गया है ,,,हालात यह है
के संवैधानिक निर्देशो के बाद भी मुस्लिम बच्चो से उनकी मादरी ज़ुबान उर्दू
,,सिंधी बच्चो से उनकी मादरी ज़ुबान ,,सिंधी ,,पंजाबी बच्चो से उनकी मादरी
जुबांन पंजाबी पढ़ने का हक़ छीन लिया गया है ,,संविधान के अनुच्छेद 350 ए में
शिक्षा के अधिकार के तहत ,,6 से 14 साल के बच्चो को उनकी अपनी मातृ भाषा
के साथ पढाने का कर्तव्य अठाइस राज्यो की सरकारों का बताया गया है
,,राजस्थान सरकार भी इस मामले में इस आयु वर्ग के बच्चो को उनकी मादरी
ज़ुबान पढ़ाने के लिए संवैधानिक प्रॉवधानो के तहत पाबन्द है ,,इस मामले में
बाल आयोग ऐसे बच्चो के शिक्षा के अधिकार व्यवस्था का संरक्षक भी है ,,लेकिन
बाल आयोग भी इस मामले में सरकार से रिपोर्ट लेकर कोई कार्यवाही नहीं कर
रहा है ,,जबकि शिक्षा के अधिकार के तहत ,,, इस आयु वर्ग के बच्चो से अगर
उनकी मादरी जुबांन छीनी गयी तो फिर यह जुबांन उर्दू ,,सिंधी ,,पंजाबी
,,दसवी ,,बारहवी ,,कॉलेज तक तो पहुंच ही नहीं सकेगी ,,,,वोह ज़ुबान जो एक
माँ अपने बच्चो से ,,आम बात चीत में करती है वोह मादरी जुबां कही जाती है
,,ऐसे में मुस्लिम समाज की एक मात्र मादरी जुबां उर्दू के साथ योजनाबद्ध
सौतेला व्यवहार है ,,यहां उर्दू के पद समाप्त कर दिए गए है ,,उर्दू पढ़ने
वाले बच्चो से ,,उर्दू पढ़ने की आज़ादी और सहूलियते छीन ली गयी है
,,,,,राजस्थान सरकार सँवैधानिक प्रॉवधान ,,शिक्षा की गारन्टी अधिनियम
,,,,तृतीय भाषा संरक्षण अधिनियम ,,अल्पसंख्यक संरक्षण अधिनियम ,,बाल अधिकार
संरक्षण अधिनियम ,,संविधान के अनुच्छेद 14 ,,समानता का अधिकार ,,अनुच्छेद
इक्कीस आज़ादी का अधिकार ,,अनुच्छेद 29 अनुच्छेद 30 भाषायी संरक्षण का
अधिकार ,,अनुच्छेद 344 ,,344 [1 ] 347 ,350 [ए ]बी , 351 सहित शिक्षा
संहिता के प्रावधान का उलंग्घन कर उर्दू पढ़ने की आज़ादी छीन रही है ,,ऐसे
में यहां राजस्थान में ,,सँवैधानिक अधिकारों का हनन का दोषी राजस्थान
सरकार का होने से ,,यहां तुरन्त राष्ट्रपति शासन लगाकर ,,राजस्थान में
,,उर्दू सहित दूसरी मातृ भाषाओ के साथ हो रहे सौतेले व्यवहार को खत्म कर
इन भाषाओ को पढ़ने के इच्छुक बच्चो को उनके संवैधानिक अधिकार फिर से दिलवाये
,,दोषी अधिकारियो को इस मामले में दण्डित भी करवाये ,,,,,अख्तर खान अकेला
कोटा राजस्थान
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