में शर्मिंदा हूँ ,,में बहुत शर्मिंदा हूँ ,,मेरे इस कोटा शहर से करोडो
करोड़ ,,कमाने वाले मिडिया कर्मी ,,मिडिया मालिक ,,मेरे इस कोटा की धरोहर
,,मेरे इस कोटा के स्वाभिमान को याद नहीं करना चाहते है ,,,,मीडिया इधर उधर
हज़ारो किलोमीटर दूर की देश भक्ति ,,देश के बलिदान के किस्से तो बयान करता
है ,,लेकिन कोटा की चम्बल का पानी पीने वाला मीडिया ,,कोटा से उत्पादित
बिजली के मज़े लेने वाला मीडिया ,,यहां के उद्योग ,,व्यापार से विज्ञापन
लेकर करोडो करोड़ कमाने वाला मिडिया ,,,कोटा की रोटी ,,कोटा का
नमक खाने वाला यहां का मिडिया ,,,कोटा की आज़ादी के दीवानो को भूल जाता है
,,सिर्फ और सिर्फ व्यवसायिक हिस्सेदारी ,,वोह लोग जो कोटा की ,,भारत की
,,हिंदुस्तान की आज़ादी के दीवाने थे ,,वोह लोग लाला जयदयाल ,,महराब खान
,,उनकी तरह न जाने कितने आज़ादी के दीवाने ,,जिन्होंने ,,कोटा के स्वाभिमान
को बचाने के लिए ,,,कोटा को अँगरेज़ मुक्त बनाने के लिए ,,अंग्रेज़ो की
भारीभरकम फ़ौज ,,कोटा के गद्दार अंग्रेज़ो के गुलामो से जंग लड़ी ,,कोटा को
आज़ाद कराया ,,क़ातिल अँगरेज़ मेजर बर्टन ,,उनके सिपाही पुत्रो को मार गिराया
,,,कोटा को आज़ाद करवाया ,,,कोटा की धरती को शूरवीरो की धरती बनाया ,,लेकिन
अंग्रेज़ तो अँगरेज़ थे ,,उन्होंने गद्दारी का जाल बिछाया ,,फुट डालो राज करो
का ,फार्मूला अपनाया ,,बस फिर अंग्रेज़ो ने धोखे से गद्दारो की मदद से कोटा
पर क़ब्ज़ा जमाया और बस महराब खान ,,लाला जय दयाल को उनकी राष्ट्रभक्ति
,,कोटा के स्वाभिमान की रक्षा की जंग लड़ने के इलज़ाम में सरे आम फांसी पर 17
सितम्बर को चढ़ाया ,,यह इतिहास चेंद्रशेखर आज़ाद ,,भगतसिंह जैसे सिपाहियों
से कम नहीं है ,,लेकिन कोटा में ऐसे जांबाज़ सिपाहियों के मज़ार की दुर्गति
है ,,इतिहास में उनका नाम नहीं है ,,उनके स्मारक नहीं है ,,एक शहीद स्मारक
अदालत चौराहे पर जहाँ उनकी पट्टी लगी थी वोह भी सौन्दर्यकरण के नाम पर हटा
दी गयी है ,,लेकिन इन आज़ादी के दीवानो को कहा पता था ,,मीडिया में ऐसा
व्यवसायीकरण आएगा ,,कोटा के नमक में ऐसी बुराई आएगी के कोटा की आज़ादी के
दीवानो के किस्से मीडिया न तो उजागर करेगा ,,न लोगो तक पहुंचाएगा ,,कल
दोस्तों ऐसा ही हुआ ,,,कोटा में आज़ादी के जांबाज़ वीर शहीद दीवाने ,,महराब
खान ,,लाला जयदयाल ,,को अंग्रेज़ो द्वारा देशभक्ति के इलज़ाम की सजा सरेराह
नीम के पेड़ पर फांसी पर लटका कर दी थी ,,इस दिन को ,,कोटा शहर की धरोहर को
संरक्षित करने ,,कोटा के लोगो तक इनके किस्से पहुंचाने के मामले को लेकर
,,,हाडौती के वीर सिपाहियों की वीर गाथाये आम लोगो तक पहुंचाने के लिए कल
17 सितम्बर को महराब खान ,,लाला जयदयाल जिनके परिजनों ने पहले ही आज़ादी की
लड़ाई में अपनी क़ुरबानी दी थी ,,उन्हें भी फांसी पर लटकाया गया था ,,इसलिए
हाडौती वीर शहीद संघर्ष समिति की तरफ से हिम्मत सिंह हाड़ा ,,असद अली
,,अख्तर खान अकेला सहित कई साथियो ने कार्यक्रम रखा लेकिन अखबारों में खबर
नदारद थी या फिर खबर हाशिये पर थी ,,एक समाचार पत्र के तो प्रेस फोटोग्राफर
फोटो भी लेकर गए ,,लेकिन वोह भी नदारद मिला ,,समझ गए कोटा की धरोहर ,,कोटा
की वीरगाथाएं ,,न विज्ञापन देती है ,,न व्यवसाय इसलिए उनका अख़बार और
मिडिया में अब क्या स्थान बचा है ,,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा
राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
18 सितंबर 2016
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काम कर रहा हूं अनकही कहानियों पर...इ
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