नई दिल्ली.
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा, "हुर्रियत नेताओं को अलगाववादी नहीं कहा
जा सकता।" हुर्रियत नेताओं को केंद्र के फंड न दिए जाने को लेकर लगाई
पिटीशन भी खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि उन्हें अलगाववादी कह दिया जाता है
लेकिन कोर्ट में इस टर्म का इस्तेमाल न हो। कोर्ट ने क्या कहा...
- सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यीय बेंच मामले की सुनवाई कर रही थी।
- जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा, "ये एक सोच का मामला है। क्या सरकार ने उन्हें अलगाववादी घोषित किया है? कोई भी नियम दूसरे की पसंद से नहीं जोड़े जा सकते। इसलिए उन्हें अलगाववादी कह दिया जाता है लेकिन कोर्ट में इस टर्म का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।"
- कोर्ट ने ये भी कहा, "ज्यूडिशियरी इस बात की जांच नहीं कर सकती कि उन्हें कितना फंड दिया गया। अगर किसी सिटिजन को धमकी मिलती है तो सरकार उसे सिक्युरिटी दे सकती है। ये उसके अधिकार क्षेत्र में आता है।"
- "सिक्युरिटी का मसला ज्यूडिशियल कार्यवाही के तहत नहीं आता।"
- बता दें कि 8 सितंबर को एक वकील एमएल शर्मा की ओर से पिटीशन दायर की गई थी।
- पिटीशन में कहा गया था कि अब तक अलगावादियों के विदेश दौरों, सिक्युरिटी और दूसरे खर्चों पर 100 करोड़ से ज्यादा खर्च किए जा चुके हैं। अलगाववादियों ने इस पैसे का एंटी-इंडिया एक्टीविटीज में मिसयूज किया गया।
कोर्ट का यू-टर्न
- 8 सितंबर कोर्ट को कोर्ट ने तय किया था कि किस तारीख को पिटीशन पर सुनवाई होगी।
- उस वक्त कोर्ट ने पिटीशनर की हुर्रियत नेताओं को दिए जाने वाले फंड को रोकने की बात से सहमति जताई थी।
- एक न्यूज एजेंसी के मुताबिक कोर्ट ने कहा था, "हम भी यही सोच रखते हैं। यहां बैठा हर शख्स ऐसा ही सोचता है।"
- 8 सितंबर कोर्ट को कोर्ट ने तय किया था कि किस तारीख को पिटीशन पर सुनवाई होगी।
- उस वक्त कोर्ट ने पिटीशनर की हुर्रियत नेताओं को दिए जाने वाले फंड को रोकने की बात से सहमति जताई थी।
- एक न्यूज एजेंसी के मुताबिक कोर्ट ने कहा था, "हम भी यही सोच रखते हैं। यहां बैठा हर शख्स ऐसा ही सोचता है।"
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