कश्मीर
में 48 दिन से हिंसा जारी है। सिक्युरिटी फोर्सेस पैलेट गन का इस्तेमाल कर
रही हैं। इससे कई लोगों की रोशनी जाने के आरोप लगे हैं। (फाइल)
नई दिल्ली/ जम्मू.कश्मीर
में पैलेट गन की जगह अब PAVA शेल्स का इस्तेमाल किया जा सकता है। इनमें
ऑर्गेनिक कंपाउंड भरा होता है। यह बिल्कुल लाल मिर्च पाउडर की तरह होता है।
यह पैलेट गन की तुलना में कम घातक लेकिन ज्यादा असरदार पाया गया है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय की एक एक्सपर्ट कमेटी इसे हरी झंडी दे सकती है। बता दें कि कश्मीर
दौरे पर पहुंचे राजनाथ सिंह ने भी गुरुवार को श्रीनगर में एक एक्सपर्ट
कमेटी का जिक्र किया था जो पैलेट गन के ऑप्शन पर विचार कर रही है। डेमॉन्स्ट्रेशन देख चुकी है कमेटी…
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कमेटी इस हफ्ते की शुरुआत में इन शेल्स का दिल्ली में डेमॉन्स्ट्रेशन देख
चुकी है। इसके बाद सहमति भी जताई है कि इन्हें सिक्युरिटी फोर्सेस के
इस्तेमाल के लिए लाया जाना है।
- PAVA शेल्स की लखनऊ में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टॉक्सिकोलॉजी रिसर्च में करीब एक साल से टेस्टिंग चल रही थी। पैलेट गन की जगह PAVA शेल्स के इस्तेमाल पर पैनल सहमत है।
- पैनल ने सिफारिश की है कि ग्वालियर में बीएसएफ की टियर स्मोक यूनिट में इसका जल्द से जल्द बल्क प्रोडक्शन होना चाहिए।
कितने असरदार होंगे PAVA शेल्स?
- PAVA शेल्स की लखनऊ में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टॉक्सिकोलॉजी रिसर्च में करीब एक साल से टेस्टिंग चल रही थी। पैलेट गन की जगह PAVA शेल्स के इस्तेमाल पर पैनल सहमत है।
- पैनल ने सिफारिश की है कि ग्वालियर में बीएसएफ की टियर स्मोक यूनिट में इसका जल्द से जल्द बल्क प्रोडक्शन होना चाहिए।
कितने असरदार होंगे PAVA शेल्स?
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PAVA यानी पेलार्गोनिक एसिड वैनिलिल एमाइड। इसे नोनिवेमाइड भी कहते हैं।
यह एक ऑर्गेनिक कंपाउंड है, जिसमें बिल्कुल मिर्च पावडर की तरह गुण होते
हैं।
- PAVA का इस्तेमाल खाने में तीखापन लाने और स्वाद बढ़ाने के लिए भी किया जाता है। इसके असर से कोई भी शख्स कुछ देर के लिए सुन्न हो जाता है। चल-फिर नहीं सकता।
- PAVA शेल्स को आंसू गैस और पेपर स्प्रे से ज्यादा असरदार पाया गया है। एक्सपर्ट कमेटी कश्मीर घाटी में इस्तेमाल के लिए ऐसे ही कुछ और कम घातक हथियारों का एनालिसिस कर रही है।
- PAVA का इस्तेमाल खाने में तीखापन लाने और स्वाद बढ़ाने के लिए भी किया जाता है। इसके असर से कोई भी शख्स कुछ देर के लिए सुन्न हो जाता है। चल-फिर नहीं सकता।
- PAVA शेल्स को आंसू गैस और पेपर स्प्रे से ज्यादा असरदार पाया गया है। एक्सपर्ट कमेटी कश्मीर घाटी में इस्तेमाल के लिए ऐसे ही कुछ और कम घातक हथियारों का एनालिसिस कर रही है।
क्यों पड़ी जरूरत?
- कश्मीर में 8 जुलाई को हिज्बुल कमांडर बुरहान वानी के एनकाउंटर में मारे जाने के बाद हिंसा भड़की।
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48 दिन से यहां कर्फ्यू जारी है। 68 लोग मारे जा चुके हैं। करीब तीन हजार
घायल हैं। इनमें सिक्युरिटी फोर्सेस के जवान भी शामिल हैं।
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सिक्युरिटी फोर्सेस ने पत्थरबाजों को कंट्रोल करने में पैलेट गन का
इस्तेमाल किया। इससे 400 से ज्यादा घायल हुए हैं। कई लोगों की आंखों की
रोशनी जाने का आरोप है।
- पैलेट गन का विरोध हो रहा है। इसलिए इसके लिए विकल्प तलाशे जा रहे हैं। PAVA शेल्स काे इसके विकल्प के रूप में देखा जा रहा है।
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