नई दिल्ली.अरुणाचल
प्रदेश में सीमा पर ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल की तैनाती की खबर से चीन
आगबबूला हो गया है। वह इसे उकसावे की कार्रवाई बता रहा है। चीनी माउथपीस
‘पीएलए’ ने लिखा कि सीमा पर सुपरसोनिक मिसाइल की तैनाती तिब्बत और युन्नान
के लिए खतरे की बात है। इससे हमें सीमा पर अपना डिफेंस मजबूत करना होगा।
भारत नर्वस है। इसीलिए टकराव का कदम उठाया है। भारत का करार जवाब, हमारे आतंरिक मामले में दखल देने की जरूरत नहीं...
- भारत ने चीन को करारा जवाब दिया है। आर्मी के एक अफसर ने कहा, ‘हम अपनी सुरक्षा जरूरतों के हिसाब से मिसाइल तैनात करते हैं। चीन अपने काम से काम रखे। उसे हमारे आंतरिक मामले में दखल देने की जरूरत नहीं है।’
-
मोदी सरकार ने पिछले हफ्ते सेना को अरुणाचल में नई रेजीमेंट बनाने की
मंजूरी दी। इनमें ब्रह्मोस के अपग्रेड वर्जन की 100 मिसाइलें शामिल होंगी।
- तिब्बत से लेकर चीन के युन्नान प्रांत तक ब्रह्मोस की जद में आ जाएंगे। इस नई रेजीमेंट पर करीब 4300 करोड़ रुपए की लागत आएगी।
- नई रेजीमेंट बनाने और ब्रह्मोस तैनात करने में एक साल का वक्त लग सकता है।
चीन क्यों भड़का?
- अरुणाचल के कुछ हिस्से पर दावा करता रहा है। भारत ने कड़ा संदेश दिया है कि वह चीन के किसी भी उकसावे का मजबूती से जवाब देगा।
- भारत ने पिछले हफ्ते ही अरुणाचल के पहाड़ी इलाके पासी घाट पर फाइटर जेट सुखोई-30 उतारा था। यहां से चीनी सीमा 80 किमी दूर है।
- लद्दाख में टैंक रेजीमेंट के साथ-साथ जवानों की संख्या बढ़ाई गई है। सीमा पर सड़कों का तेजी से निर्माण हो रहा है।
- ब्रह्मोस की रेंज में दक्षिण तिब्बत और युन्नान प्रांत आता है। यहां चीनी सेना के बड़े कैंट हैं।
- ईस्ट में चुंबी वैली और रीमा कैंप हैं। जो चीनी सेना के अहम ठिकाने हैं।
- भारत-चीन सीमा के दक्षिण में ईस्टर्न हाईवे है। जो चीन को सीमावर्ती पोस्टों तक ले जाता है।
- चीन के 11 एडवांस लैंडिंग ग्राउंड हैं जबकि भारत के पांच या छह।
- चीन, म्यांमार तक रेलवे, सड़क और पाइपलाइन बना रहा है। युन्नान प्रांत में मेजर यूनिट बनाने का प्लान है।
- इस इलाके में चीनी सेना के तोपखाना, मिलिट्री बेस, मिसाइल बेस, हैलिपेड, पेट्रोल, राशन और एम्युनिशन डिपो है।
- ये इलाका 16 हजार फीट की ऊंचाई पर है, जिसके चलते हरियाली नहीं है। सैटेलाइट पर एस्टेबलिशमेंट की लोकेशन साफ नजर आती है।
- भारत ने पिछले हफ्ते ही अरुणाचल के पहाड़ी इलाके पासी घाट पर फाइटर जेट सुखोई-30 उतारा था। यहां से चीनी सीमा 80 किमी दूर है।
- लद्दाख में टैंक रेजीमेंट के साथ-साथ जवानों की संख्या बढ़ाई गई है। सीमा पर सड़कों का तेजी से निर्माण हो रहा है।
- ब्रह्मोस की रेंज में दक्षिण तिब्बत और युन्नान प्रांत आता है। यहां चीनी सेना के बड़े कैंट हैं।
- ईस्ट में चुंबी वैली और रीमा कैंप हैं। जो चीनी सेना के अहम ठिकाने हैं।
- भारत-चीन सीमा के दक्षिण में ईस्टर्न हाईवे है। जो चीन को सीमावर्ती पोस्टों तक ले जाता है।
- चीन के 11 एडवांस लैंडिंग ग्राउंड हैं जबकि भारत के पांच या छह।
- चीन, म्यांमार तक रेलवे, सड़क और पाइपलाइन बना रहा है। युन्नान प्रांत में मेजर यूनिट बनाने का प्लान है।
- इस इलाके में चीनी सेना के तोपखाना, मिलिट्री बेस, मिसाइल बेस, हैलिपेड, पेट्रोल, राशन और एम्युनिशन डिपो है।
- ये इलाका 16 हजार फीट की ऊंचाई पर है, जिसके चलते हरियाली नहीं है। सैटेलाइट पर एस्टेबलिशमेंट की लोकेशन साफ नजर आती है।
- इनपुट : मेजर जनरल (रिटा.)पीके सहगल, भास्कर एक्सपर्ट
और इस तरह चीन की जद में पूरा भारत
- चीन की डोंगफेंग-41 की मारक क्षमता मिसाइल 12 हजार किमी. है। यानी, पूरा भारत उसकी जद में।
- चीन ने हाल ही में मिसाइल से सैटेलाइट गिराकर ताकत दिखाई थी।
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