आपका-अख्तर खान

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15 अगस्त 2016

,आज देश में हर कोई राष्ट्रभक्त है ,

दोस्तों मेरे इस आज़ाद भारत को सलाम ,,खुदा ,,,इस आज़ाद भारत को ता उम्र ,,सुर्खुरू रखे ,,इसे सलामत रखे ,,इस देश के लोगो को,,, खुशहाल ,,एकजुट सह्तयाबी के साथ ,,सलामत रखे ,,लेकिन ,,,आज़ाद भारत के ,,,आज़ाद सपनो के साथ ,,,,,दोस्तों ,,,आज देश में हर कोई राष्ट्रभक्त है ,,हर कोई आज़ादी के जश्न में शामिल है ,,हर कोई खुद को ,,,देश में अव्वल देशभक्त ,,आज़ादी का दीवाना,,, साबित करने की कोशिश में जुटा है ,,खुदा हमारे देश के हर शख्स में ,,,आज़ादी का ऐसा ही जज़्बा पैदा करे ,,ताकि हमारा देश,, सच में,, आज़ाद भारत ,,आज़ाद हिंदुस्तान,,, कहा जा सके ,,यहां जनता का ,,,जनता द्वारा निर्वाचित लोगो का ,,,जनता के प्रति ,,,जवाबदारी का शासन,,, स्थापित हो सके ,,जंगलराज खत्म हो सके ,,अमीरी गरीबी ,,ऊंच नीच ,,बढ़ा ,,छोटा , ,,जाति सम्प्रदाय का,,, भेदभाव समाप्त हो सके ,,दोस्तों ,,,अब ज़रा खंगाले हम ,,अपने धड़कते दिल प,,,र हाथ रख कर,,, इस आज़ादी के सच को ,,के हम कहते क्या है ,,दिखावा क्या करते है,,, और सच ,,कड़वा सच ,,,क्या है ,,,,,दोस्तों ,,देश आज़ाद हुआ ,,अंग्रेज़ो को ,,,हमने खदेड़ा ,,,लेकिन यहां भूख हड़ताल से ,,अगर शराब बन्दी की मांग करते हुए ,,,पूर्व विधायक छाबड़ा की मोत हो जाती है ,,तो हमे लगता है,, यह केसा लोकतंत्र ,,यह केसी आज़ादी ,,यहां बेज़ुबान ,,,मवेशी खासकर,,, गांयो को सुरक्षित स्थान पर,, लेजाकर रखने और सड़को से दुर्घटना के कारणों को हटाने की मांग को लेकर ,,,अगर ,,कोटा में क्रान्ति तिवारी ,,,आमरण अनशन करते है ,,तो उन्हें रात को चोरो की तरह से उठाकर ,,जयपुर अस्पताल भेज दिया जाता है ,,,मांगो पर कार्यवाही तो नहीं होती ,,लेकिन अनशन को अपराध बना दिया जाता है ,,अंग्रेज़ो ने गान्धी के अनशन पर,,, गुलामी के काल में भी,,, ऐसा नहीं किया था ,,हम कलेक्टर के पास जाए ,,एस पी के पास जाए ,,आई जी ,,महानिदेशक पुलिस ,,मुख्य सचिव किसी के पास भी जाए ,,पर्ची पर पर्ची ,,भिजवाये ,,,फिर उनकी इच्छा हो ,,तो वोह मिले,, तो मिले ,,,वरना कह दे,,, साहब मीटिंग में है ,,हमारे निर्वाचित विधायक ,,सांसद ,,मंत्रियो का ,,,,हमे घण्टो इन्तिज़ार करना पढ़े ,,घर के बाहर ,,,याचक बनकर,,, घण्टो उनकी एक झलक को ,,,हम तरसते रहे ,,क्या यही आज़ादी है ,,क़ानून वही अंग्रेज़ो का ,,सरकार के पास बिना किसी वजह के किसी भी व्यक्ति को शांति भंग में गिरफ्तार कर,,, जेल भेजने का अधिकार ,,,सिगरेट तम्बाकू ,,शराब स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है ,,उस पर चेतावनी लिखकर,,, खूब बिकवाई जाती है ,,शराब ,,,सरकार बिकवाती है ,,और फिर पीने वाले को गिरफ्तार कर,,, उसे सजा दिलवाती है ,,,सड़क निर्माण के नाम पर,,, टेक्स ,,सड़क पर वाहन चलाने के नाम पर,,, टेक्स ,,उसके बाद भी,,, टोल टेक्स की वसूली ,,,रोज़ का किस्सा है ,,पुलिस के पास जाओ तो मुक़दमा दर्ज नहीं होता ,,अदालत जाओ ,,,तो मुकदमो की संख्या,, अधिक ,,मजिट्रेट की गिनती कम रहती है,,, उस पर मजिस्ट्रेट के बैठने की जगह नहीं ,,अजीब न्याय है ,,,अदालते है मजिस्ट्रेट नहीं ,,मजिट्रेट है ,,,तो बैठने की जगह नहीं ,,,शिक्षा हो,, चिकित्सा हो ,,,सभी के नाम पर ,,,खुली लूट है ,,हमसे वसूले गए,,, टेक्स का आधे से ज़्यादा रुपया ,,नेताओ की सुरक्षा पर खर्च होता है ,,कभी जेड सुरक्षा ,,वायुयान यात्राएं ,,होती है ,,,,बोलने की ऐसी आज़ादी ,,,के समाजो में नफरत फेल रही है ,,क़ानून है,,, लेकिन ऐसी बकवास करने वालो की,,, गिरफ्तारी नहीं ,,दो समुदायों में नफरत का भाव पैदा करने वाले लोग ,,,अपने ज़हरीले भाषण से सांसद ,,विधायक बन रहे है ,,,सरपंच ,,पार्षद के दो बच्चो से ज़्यादा है ,,,,दसवी नहीं है,,मुक़दमा विचाराधीन है ,,, तो उसके चुनाव लड़ने पर पाबन्दी ,,,लेकिन दस बच्चो का बाप ,,अंगूठा टेक हो ,,जेल में हो तो भी विधायक ,,सांसद बनने के लिए उसके मामले में ,, कोई पाबन्दी नहीं ,,,,देश में भर्ष्टाचार फैलाने वालो के खिलाफ जनता को मुक़दमा दर्ज कराने का अधिकार नहीं ,,किसी भी लोकसेवक के खिलाफ बिना सरकार की अनुमति के,,, कोई मुक़दमा चलाने की इजाज़त नहीं ,,,जज के खिलाफ अगर पुख्ता शिकायत हो तो भी उसे हटाने की इजाज़त नहीं ,,राष्ट्रपति किसी भी निर्वाचित सरकार को जब चाहे गिरा दे ,,राष्ट्रपति शासन लगाते ऐसे गैरक़ानूनी आदेश साबित होने पर भी राष्ट्रपति के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं ,,कश्मीर में संविधान की धारा तीन सो सत्तर है , तो ,कई राज्यों में संविधान की धारा तीन सो इकत्तर है ,,,,,,कुछ जातियो को आरक्षण तो कुछ को ठेंगा है ,,,मंत्री ,,राज्यपाल ,,राष्ट्रपति ,,मुख्यमंत्री आये तो बस रास्ते रुक जाते है ,,आम आदमी के अधिकार खत्म हो जाते है ,,वही अंग्रेज़ो की छाले ,,वही अंग्रेज़ो के क़ानून ,,वही सिलिप देकर मिलने की प्रक्रिया ,,वही लाठ साहब वाला अंदाज़ ,,,जॉर्ज पंचम के लिए गीतों का गायन ,,,क्वीन एलिज़ाबेथ को माँ बताकर उसकी वन्दना ,,वैसा ही नेताओ को पूजनीय बनाना ,,भगवान का दर्जा देना ,,देवी देवताओं का दर्जा देकर मन्दिर बनाना ,,अजीब नहीं लगता ,,पहले हमारे लोग अंग्रेज़ो के जॉर्ज पंचम के लिए गीत लिखा करते थे ,,सब कुछ उनको समर्पित कहकर ,,गीत गाया करते थे ,,,फिर क्वीन एलिज़ाबेथ को खुश करने के लिए उसे माता कहकर सब कुछ उनका ही बताते थे ,,उन्हें आदरणीय ,,,सम्मानीय पूजनीय बताते थे ,,क्या एक सरकारी कर्मचारी ,,एक सरकारी अधिकारी कोई ऐसा गीत ,,कोई ऐसा गायन ,,जो उस वक़्त सरकारी कर्मचारी होते हुए लिख सकता था जो राष्ट्र भक्ति के भाव से लोगो को जगाने ,,लोगो में राष्ट्रीयता का भाव पैदा करने वाला हो ,,अगर ऐसा होता तो क्या अँगरेज़ लोग ऐसे अधिकारी ,,कर्मचारियों को नोकरी पर रखते ,,या फिर जेल में डालते ,,यह सवाल है ,,जो आज भी कई मंत्री ,,कई विधायक ,,कार्यकर्ता अपने अपने नेताओ को भगवान ,,देवी ,,देवता का दर्जा देकर ,,उनसे ,,उनके खास बनकर ,,,फायदा उठा रहे है ,,सड़को पर आप बेफिक्र होकर चल नहीं सकते ,,मनमर्ज़ी की शिक्षा ,,मनमर्ज़ी स्कूल में हांसिल नहीं कर सकते ,,,मनमर्ज़ी अस्पताल में इलाज मुफ्त नहीं करा सकते ,,,आप के सामने कोई हत्या होती है ,,पुलिस को आप ,,हम बयांन नहीं देते ,,पुलिस बयान लिख लेती है ,,तो अदालत में जाकर हम मुकर जाते है ,,कहते है हमने तो देखा ही नहीं ,,पुलिस ने मन मर्ज़ी से हमारा नाम लिख दिया ,,हम आज़ाद है ,,तो हमारी बहन बेटियां घरो में और घर के बाहर असुरक्षित सी क्यों है ,,क्यों सड़को पर महासंग्राम है ,,सको पर दलितों को क्यों पीटा जाता है ,,महिलाओ को सरे आम डायन बताकर ,,या फिर बीफ का इलज़ाम लगाकर पीटा जाता है ,,क्या यही हमारी आज़ादी है ,,नहीं न ,, तो फिर हम अपने धड़कते दिल से पूंछे ,,इन हालातो के लिए दूसरे ज़िम्मेदारों के साथ हम ,,हमारी चुप्पी ,,हमारी खामोशी ,,हमारे धर्म से जुड़े अपराधियो के खिलाफ हमारी चुप्पी ,,,उनके प्रति हमारा प्यार ,,सब कुछ ज़िम्मेदार है ,,हम इस देश की आज़ादी को कलंकित करने के लिए पूरी तरह से ज़िम्मेदार है ,,हम अगर खुद ,,सुधरेंगे ,,तो पड़ोस सुधरेगा ,,पड़ोस सुधरेगा,,, तो समाज सुधरेगा ,,समाज सुधरेगा तो देश सुधरेगा ,,हमारे पास इसे सुधारने के लिए गोली बारी ,,पत्थर तो नहीं दोस्तों ,,लेकिन हां एक बेलेट है ,,जिससे हम इस लोकतंत्र के दुश्मन ,,भेडियो को घर बिठा सकते है ,,हम अगर गलती से,,, ऐसे लोगो को ,,जिता भी दे ,,तो ऐसे लोगो को ,,, उनके काले कारनामो को लेकर,, एक जुट होकर ,,,सबक़ भी सिखाते है ,,ज़रा सोचिये,,, हमारे देश की राजधानी ,,हमारे देश का दिल ,,दिल्ली ,,जो कहने को तो ,,,राजधानी है ,,वहां निर्वाचित विधायक ,,निवाचित सरकार ,,मुख्यमंत्री है ,,लेकिन एक बाबू बढ़ा बाबू ,,उस निर्वाचित सरकार को अपने इशारो पर ,,केंद्र के कहने पर नचाता है ,,क्या इसे आज़ादी कहते हम ,,अगर नहीं तो ज़रा सोचे ,,समझे ,,सच जाने और ,,देश में ओरिजनल आज़ादी के लिए चर्चा करे ,,संघर्ष करे ,,देश के लिए लड़े ,,देश के लिए सोचे ,,सियासी पार्टियों ,,भाईसाहबो को देश में अच्छा माहौल बनाने,,, ओरिजनल आज़ादी देने के लिए ,,,आमने सामने का लोकतांत्रिक संघर्ष करे ,,,उन्हें बताये हम हिंदुस्तानी है हमारे लिए पार्टी ,,सियासत ,,,भाईसाहबो से पहले हिंदुस्तान है ,,हिंदुस्तान की आज़ादी है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,जश्न ऐ आज़ादी एक बार फिर मुबारक ,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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