में फिर आज टूटा हूँ
में फिर आज बिखरा हूँ ,,
मुझे आज फिर
तुम्हारे सहारे की ज़रूरत है
हमेशा की तरह इस बार भी
तुम मुझे सहारा मत देना ,,,,,,
बहाने बस बहाने बना देना ,,,
में फिर आज बिखरा हूँ ,,
मुझे आज फिर
तुम्हारे सहारे की ज़रूरत है
हमेशा की तरह इस बार भी
तुम मुझे सहारा मत देना ,,,,,,
बहाने बस बहाने बना देना ,,,
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)