फिल्म एक्ट्रेस सना अमीन शेख ,,,जो 1995 से टी वी सीरियल में है ,,लेकिन
उनकी कोई पहचान नहीं बन पायी थी ,,मोलवी के एक फतवे और सना शेख के
पब्लिसिटी मैनेजमेंट ने उन्हें रातो रात एक्ट्रेस तो बना ही दिया ,,साथ ही
एक बढे बहुसंख्यक वर्ग की सहानुभूति मिल जाने से उनका भविष्य के रोज़गार
कार्यक्रम भी सुरक्षित हो गया है ,,सना ने आज तक दो दर्जन से भी अधिक
सीरियल किए वोह बालकलाकार के वक़्त से ही एक्टिंग कार्य में लगी है ,,उन्हें
कोई नहीं जानता था ,,लेकिन अल्लाह का इनाम उन पर था ,,और इसीलिए उन्हें
पब्लिसिटी का यह तोहफा ,,सहानुभूति का यह तोहफा मिला है ,,सना को खुदा का
शुक्रगुज़ार होना चाहिए ,,,अब हम बात करते है ,,इस्लाम के नाम पर औरतों पर
पाबन्दी की ,,यहां खासकर हमारे देश में ओरतो के हुक़ुक़ पर मोलवी मुल्लाओं ने
की पैरवी नहीं की है ,,वैसे भी हमारे देश में कई फिरके कई दुकाने है जिनमे
से कई तो बस निकाह ,,तलाक़ ,,महरमाफी ,,खुला तलाक़ ,,तक ही सीमित रहे है
,,जब जब हमारे देश में औरतों के हुक़ुक़ के बात आयी है ,,रूपये लेकर इस्लाम
के सिद्धांत के खिलाफ फतवे देने और रूपये लेकर नमाज़ पढाने वाले ,,इल्म को
पेट पालने का ज़रिया बनाने वाले आलिमों ने पेशेवर तरीके से उनके खिलाफ फैसले
दिए है ,,,कुरानशरीफ में सुर ऐ अनीसा औरतों के हुक़ुक़ की आयत है ,,इस आयत
में ओरतो के तलाक़ का तरीक़ा साफ़ है ,,इसमें तीन तलाक़ एक साथ दिया जाना
मुश्किलो से भरा है जबकि समझाइश के बाद समझाइश असफल होने के बाद ही तलाक़
तीन बार एक साथ देने का हुकम दिया गया है ,,लेकिन हज़ारो हज़ार लोग है
जिन्होंने क़ुरआन की इन आयतो को झुठला कर तीन तलाक़ को सही ठहराया है ,,यह
लोग ओरतो से महर माफ़ करवाते है ,,उनके दहेज़ के सामान छुड़वाते है ,,एक
ब्याहता पत्नी के पति का निकाह बिना इस्लाम के खुलासा नियमों के करवाते है
जिसमे बीमार होना ,,लड़का नहीं होना ,,सोहबत से इंकार करना ,,या फिर पहली
बीवी का इक़रार शामिल होना ज़रूरी है ,,बराबर का दर्जा देना इस्लामिक हुक्म
है ,,,जैसी कई पाबन्दियाँ इन फतवेबाजों ने लगा रखी है ,,फतवा जो तक़वे से
रहता है ,,यानी सो फीसदी इस्लाम के सिद्धांतो पर चलता हो वही दे सकता है
,,अब गली गली फतवेबाज हो गए है ,,इसलिए इल्म की कमी होने से ऐसी बचकानी
फ़तवेबाज़ी से इस्लाम बदनाम हो रहा है ,,इस्लाम बन्दे और बंदानवाज़ यानी
अल्लाह और उसके बन्दे के बीच का जीवन है ,,इसमें तीसरा आदमी कोन ,,बिना
पूंछे सलाह देना बेवक़ूफ़ी है ,,और अगर कोई फतवा किसी के खिलाफ लेना भी चाहता
है तो कोई भी फतवा जिसके खिलाफ लिया जाता है उसे सुने बगेर दिया जाना
इस्लाम का क़ानून नहीं है ,,सना शैख़ एक्टिंग करती है ,,,कोई सज़ा होगी तो
उन्हें मिलेगी ,,,एक सिन्दूर जो भगवान पर लगाया जाता है ,,क्या सिर्फ इसलिए
हिन्दू हो गया ,,क्या कोई मुसलमान उसका उपयोग नहीं कर सकता ,,हाँ श्रंगार
कोई भी औरत सिर्फ पति के लिए करेगी ,,इस मामले में फतवा होता तो समझ में
आता ,,लेकिन श्रंगार में अगर बिंदी ,,सिदनूर भारतीय मिली जुली सन्स्क्रति
से लगा भी लिया जाता है तो कोनसा गुनाह होता है ,,किस किताब में किस आयत
में लिखा है कोई हमे बताएगा ,,,,इस्लाम के धर्मगुरुओं को फतवेबाजों से
सावधान होना होगा ,,क़ुरान मजीद जीने का एक संविधान है ,सभी इस क़ुरआन को पढ़े
,, बहतरीन तरीके से एक इंसान बनकर इस्लाम की ज़िन्दगी जिए और जो लोग बिना
रूपये लिए नमाज़ पढाते है ,,,बिना रूपये लिए फतवे देते है ,,बिना रूपये लिए
इस्लाम का प्रचार करते है उनसे सम्पर्क करे ,,वरना धर्म को धंधा बनाने वालो
के लिए तो यही कहावत है जो नरेन्द्र मोदी ने ,,नक़ली गोरक्षकों के लिए कहा
है जो सड़को पर उत्पात मचा रहे है ,,नरेन्द्र मोदी ने उनसे सावधान रहने की
सलाह दी है ,,ऐसे में नक़ली धर्मगुरु जो क़ुरआन मजीद की आयतो के खिलाफ अपने
फतवे देते है ,,क़ुरान के हुकम जिसमे अल्लाह की आयतो का मोल लगाने से इंकार
करते हुए इन आयतो को थोड़े मोल यानी पूरी कायनात भी अगर उन्हें दे दे तो भी
वोह इन आयतो को नहीं बेचेंगे ,,लेकिन अफ़सोस ज़रिया ऐ माश पेट पालने का
ज़रिया मज़हब को बनाने वाले कुछ लोग खुद को सुर्खियों में रखने के लिए ऐसे
फ़तवेबाज़ी कर रहे है जिनसे लोगो का भला नहीं हो रहा ,,,,,कहते है ,,काफिर
हूँ तो सजा देगा मुझे खुदा तुम कोन होते हो दरमियान में आने वालो ,,,लेकिन
दोस्तों जिसमे इल्म होता है ,,उसकी आवाज़ में ताक़त होती है ,,हमारे देश में
हज़ारो हज़ार ऐसे आलिम भी है जो क़ुरआन को जीते है ,, इस्लाम को जीते है
,,,उनकी लोग इज़्ज़त करते है और ऐसे लोग ऐसे विवादित माहौल नहीं बनाते
,,लेकिन इस्लाम के उसूलों के लिए अपनी गर्दन तक कटा देने को तैयार रहते है
,,ऐसे आलिमों को हमारा सलाम ,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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