आपका-अख्तर खान

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18 अगस्त 2016

मैं रहूँ या न रहूँ

मैं रहूँ या न रहूँ तुम मुझमे कहीं बाकी रहना
मुझे नींद आये जो आखिरी तुम ख्वाबों में आते रहना
बस इतना है तुमसे कहना बस इतना है तुमसे कहना
किसी रोज बारिश जो आये समझ लेना बूंदों मे मैं हूँ
सुबह धूप तुमको सताये समझ लेना किरणों में मैं हूँ
कुछ कहूँ या न कहूँ तुम मुझको सदा सुनते रहना
बस इतना है तुमसे कहना .

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