मैं रहूँ या न रहूँ तुम मुझमे कहीं बाकी रहना
मुझे नींद आये जो आखिरी तुम ख्वाबों में आते रहना
बस इतना है तुमसे कहना बस इतना है तुमसे कहना
किसी रोज बारिश जो आये समझ लेना बूंदों मे मैं हूँ
सुबह धूप तुमको सताये समझ लेना किरणों में मैं हूँ
कुछ कहूँ या न कहूँ तुम मुझको सदा सुनते रहना
बस इतना है तुमसे कहना .
मुझे नींद आये जो आखिरी तुम ख्वाबों में आते रहना
बस इतना है तुमसे कहना बस इतना है तुमसे कहना
किसी रोज बारिश जो आये समझ लेना बूंदों मे मैं हूँ
सुबह धूप तुमको सताये समझ लेना किरणों में मैं हूँ
कुछ कहूँ या न कहूँ तुम मुझको सदा सुनते रहना
बस इतना है तुमसे कहना .
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)