सोचिये अगर प्रधान जी की इश्टाइल में डॉक्टर, इंजीनियर और इंस्पेक्टर भी काम करने लगें तो वे क्या कहेंगे?
डॉक्टर: " हे कीटाणुओं और वायरसों, बीमार करना है तो मुझे करो लेकिन मेरे अस्पताल के लोगों को छोड़ दो"
इंजीनियर: "हे बारिश माता उखाड़ना है तो मेरे बाल उखाड़ लो लेकिन मेरे शहर की सड़क मत उखाड़ो"
डॉक्टर: " हे कीटाणुओं और वायरसों, बीमार करना है तो मुझे करो लेकिन मेरे अस्पताल के लोगों को छोड़ दो"
इंजीनियर: "हे बारिश माता उखाड़ना है तो मेरे बाल उखाड़ लो लेकिन मेरे शहर की सड़क मत उखाड़ो"
इंस्पेक्टर: "हे चोर, हे डकैत अगर लूटना ही है तो मुझे लूटो मेरे थाने में लगने वाले गाँवों को छोड़ दो"
कसम से... ऐसा कहते हुए वे कितने मासूम लगेंगे ना? काम भी नहीं करना पड़ेगा और पब्लिक की सहानुभूति भी फोकट में मिल जायेगी। वैसे पब्लिक मैनेजमेंट के इस नए अविष्कार पर एक नोबेल या ओलम्पिक मेडल तो बनता है साहेब के लिये क्या कहते हैं जी आप?
Sanjay Jothe
कसम से... ऐसा कहते हुए वे कितने मासूम लगेंगे ना? काम भी नहीं करना पड़ेगा और पब्लिक की सहानुभूति भी फोकट में मिल जायेगी। वैसे पब्लिक मैनेजमेंट के इस नए अविष्कार पर एक नोबेल या ओलम्पिक मेडल तो बनता है साहेब के लिये क्या कहते हैं जी आप?
Sanjay Jothe
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