जाओ तुम अब
अपनी मर्ज़ी के मालिक हो ,,
जैसे चाहो जी लो
जो चाहो कर लो
हमारा क्या
हमने तो तुम्हे
ख़ुशी से आज़ाद किया ,,,,
प्यार का पिंजरा खुला है
मन चाहे तब फिर
उड़ कर चले आना
इस प्यार के पिंजर में ,,अख्तर
अपनी मर्ज़ी के मालिक हो ,,
जैसे चाहो जी लो
जो चाहो कर लो
हमारा क्या
हमने तो तुम्हे
ख़ुशी से आज़ाद किया ,,,,
प्यार का पिंजरा खुला है
मन चाहे तब फिर
उड़ कर चले आना
इस प्यार के पिंजर में ,,अख्तर
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)