बुधवार कोटा नगर निगम की बैठक में ,,कॉंग्रेसी पार्षदों के साथ वर्तमान
भाजपा पूर्व कॉंग्रेसी पार्षद द्वारा धक्का मुक्की ,,फिर निलंबन
,,मुक़दमेबाज़ी ख़ास नहीं ,,एक नए चिंतन की तरफ इशारा करता है ,,एक पार्षद
नज़दीकी ,,फिर टिकिट कांग्रेस का ,,टिकिट कांग्रेस का देने पर भी ,,कांग्रेस
छोड़ी भाजपा से टिकिट लिया ,,कोई बात नहीं ,,,पार्षद जी की यह निजी
स्वतंत्रता है ,,,पार्षद जी ने पार्टी बदली कांग्रेस के चयनित
प्रत्याक्षी का नाटकीय तरीके से आवेदन खारिज ,फिर इनकी अपने क्षेत्र में
लोगो से मिलनसारी यह दूसरी पार्टी से भी
जीत गए ,,,,,,लेकिन ,कांग्रेस ने चुनाव के दो साल बाद भी अब तक प्रतिपक्ष
का नेता नगर निगम में नहीं बनाया ,,इतना ही नहीं ,,कोटा नगरनिगम का इतिहास
भी अजीब हो गया ,,भाजपा भाजपा के खिलाफ उपमहापौर चुनाव में थी ,,भाजपा के
अधिकृत प्रत्याक्षी के खिलाफ भाजपा के बाग़ी उम्मीदवार थे ,,लेकिन कॉंग्रेसी
पार्षदों ने भाजपा के अधिकृत प्रत्याक्षी को चूल चटाकर भाजपा की नाक काटने
की जगह ,,भाजपा के उम्मीदवार के पक्ष में ही मतदान कर दिया ,,नतीजा भाजपा
कांग्रेस के समर्थित वोटो से जीत गयी ,,अब बुधवार की घटना अजीब हुई
,,कॉंग्रेसी पार्षद का निलंबन ,,लेकिन कांग्रेस पार्टी स्तर पर इस मुद्दे
पर खामोश ,,,जिन भाजपाइयों की मदद की वह भी इन पार्षदों के पक्ष में नहीं
रहे ,,,एक चिंता का विषय यह है के ,,इतना सब होने पर भी अभी तक कोई ठोस
क़ानूनी कार्यवाही नहीं ,,कोई महिला आयोग को शिकायत नहीं ,,कोई खास परिवाद
नहीं ,,,यहां तक की कांग्रेस पार्षदों को एक जुट करने के लिए अभी भी
प्रतिपक्ष के नेता की घोषणा नहीं ,,जो निर्दलीय पार्षदों को शामिल कर अपने
हक़ के लिए संघर्ष करें ,,अजीब बात है ,,चिंतन का विषय तो है लेकिन इस चिंतन
को करेगा कोन ,,,अख्तर
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