
शनिवार को भूमाता ब्रिगेड की नेता तृप्ति देसाई को शनि शिंगणापुर मंदिर परिसर में हिरासत में लिया गया।
अहमदनगर.मंदिर
 में एंट्री को बुनियादी हक बताते बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले के बावजूद 
शनिवार को कई महिलाएं शनि शिंगणापुर मंदिर के पूजा स्थल तक नहीं जा सकीं। 
भूमाता ब्रिगेड की तृप्ति देसाई महिलाओं की अगुआई कर रही थी। उन्हें 
शिंगणापुर गांव के ही लोगों ने रोक दिया। पुलिस ने तृप्ति को भारी हंगामे 
के बीच हिरासत में लेकर मंदिर परिसर से बाहर निकाला। इसके बाद उन्होंने 
महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस से कहा कि या तो हाईकोर्ट के फैसले का 
सम्मान करें या एफआईआर का सामना करने काे तैयार रहें। शनिवार को क्या हुआ,क्या है विवाद...
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 तृप्ति देसाई जैसे ही मंदिर परिसर में पहुंचीं, वहां मौजूद कई महिलाएं 
उनके खिलाफ नारेबाजी करने लगीं। लोकल लोगों के विरोध के चलते भारी हंगामा 
मच गया।
- तृप्ति देसाई की अगुआई में महिलाएं मंदिर के अंदर
 जाने पर अड़ी थीं। लेकिन लोकल लोग ने ह्यूमन चेन बनाई बनाकर इन्हें मंदिर 
से 100 मीटर पहले ही रोक दिया।
- एनसीपी की महिला कार्यकर्ताओं ने भी मंदिर के अंदर जाने की कोशिश की। इस पर स्थानीय लोगों के साथ उनकी धक्कामुक्की शुरू हो गई।
- एनसीपी विधायक मुरकुटे के साथ भी हाथापाई हुई। मुरकुटे महिलाओं के साथ चबूतरे पर चढ़ने की जिद पर अड़े थे।
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 अहमदनगर के एसपी सौरभ त्रिपाठी का कहना था कि,"हमें अभी तक कोर्ट की ओर से
 कोई आर्डर नहीं मिला है। इसलिए हमने मंदिर के बाहर भारी संख्या में फोर्स 
तैनात कर दी।"
तृप्ति देसाई ने क्या कहा?
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 हिरासत में लिए जाने के बाद मंदिर परिसर में ही धरने पर बैठीं भूमाता 
ब्रिगेड की नेता ने कहा- ''हाईकोर्ट के फैसले के मद्देनजर अगर सीएम 
देवेंद्र फडणवीस पुलिस को हमें मंदिर के चबूतरे तक जाने की इजाजत नहीं देते
 हैं तो वे अवमानना की एफआईआर का सामना करने को तैयार रहें।''
पंकजा मुंडे ने की पूजा
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 इस बीच, अहमदनगर के एक अन्य शनि मंदिर में महाराष्ट्र की मंत्री और दिवंगत
 बीजेपी नेता गोपीनाथ मुंडे की बेटी पंकजा मुंडे ने पूजा की।
क्या है विवाद?
1. 400 साल पुरानी परंपरा
- परंपरा के मुताबिक, शनि मंदिर में 400 साल से किसी महिला को शनि देव के चबूतरे पर जाकर तेल चढ़ाने या पूजन करने की इजाजत नहीं है।
- 29 नबंवर 2015 को एक महिला ने शनिदेव के चबूतरे पर जाकर पूजा की और तेल चढ़ाया। इसके बाद मंदिर का शुद्धीकरण किया गया था। इसको लेकर काफी विवाद हुआ।
- 29 नबंवर 2015 को एक महिला ने शनिदेव के चबूतरे पर जाकर पूजा की और तेल चढ़ाया। इसके बाद मंदिर का शुद्धीकरण किया गया था। इसको लेकर काफी विवाद हुआ।
2. भूमाता ब्रिगेड की मांग
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 महिलाओं की अगुआई कर रहीं तृप्ति देसाई ने कहा- हाईकोर्ट के आदेश के बाद 
हम शनि मंदिर के चबूतरे पर जाकर सम्मानपूर्वक दर्शन करना चाहते थे। कोर्ट 
के आदेश पर सरकार को अमल करना चाहिए। सीएम को खुद इस पर पहल करनी है।
3. सरकार ने क्या कहा था?
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 एडवोकेट जनरल रोहित देव ने कहा था, ''संविधान के आर्टिकल 14,15 और 25 के 
मुताबिक, सरकार पूरी तरह से जेंडर बेसिस पर भेदभाव के खिलाफ है। सरकार हर 
नागरिक के फंडामेंटल राइट्स की रक्षा करेगी।''
- ''अगर स्टेट का 
कोई मंदिर या कोई शख्स श्रद्धालुओं को जेंडर बेसिस पर बैन करता है तो सरकार
 उनकी हेल्प नहीं करेगी और सख्त कदम उठाएगी।''
- ''प्रदेश के सभी कलेक्टरों और एसपी को एक्ट को कड़ाई से लागू करने के निर्देश दिए गए हैं।''
- ''प्रदेश के सभी कलेक्टरों और एसपी को एक्ट को कड़ाई से लागू करने के निर्देश दिए गए हैं।''
4. हाईकोर्ट ने क्या कहा?
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 बॉम्बे हाईकोर्ट ने शुक्रवार को एक पीआईएल पर कहा था ''महाराष्ट्र में 
महिलाओं को किसी मंदिर में एंट्री लेने से नहीं रोक सकते। पूजा स्थल पर 
जाना उनका फंडामेंटल राइट है। इसकी हिफाजत राज्य सरकार को करनी चाहिए।''
- हाईकोर्ट ने प्रदेश के हिंदू मंदिरों में एंट्री को लेकर बने 1956 के एक्ट का हवाला दिया था।
- इसके तहत अगर कोई शख्स या मंदिर ट्रस्ट किसी को मंदिर जाने से रोकता है तो उसे 6 महीने की जेल हो सकती है।
- किसी भी महिला या पुरूष को मंदिर जाने से रोका जाए तो वह लोकल अथॉरिटी से शिकायत कर सकता है।
5. मंदिर ट्रस्ट इसके खिलाफ
- हाईकोर्ट के फैसले के बाद मंदिर ट्रस्ट ने भी इसे सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज करने की बात कही है।
- वहीं गांववालों ने भी साफ किया है कि वे प्रतिबंधित इलाके में महिलाओं को घुसने से रोकेंगे।
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 मंदिर ट्रस्ट के प्रवक्ता अनिल दरंडाले का कहना है कि, "महिला और पुरुष 
दोनों एक निश्चित दूरी से शिला का दर्शन कर सकते हैं। पिछले दो महीनों से 
पुरुषों के भी स्पेशल पूजा पर पाबंदी है।
 
 

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