नारोँ से याद आया कि भारत मे दिये जाने वाले अधिकतर नारोँ का वजुद ...
* "मादरे वतन भारत की जय" का ये नारा 'अज़ीम उल्ला ह ख़ाँ' ने 1857 मे दिया था..
* "जय हिन्द" का नारा आबिद हसन 'साफ़रानी' ने दिया था..
* "इंक़लाब ज़िँदाबाद" का नारा 'हसरत मोहानी' ने दिया था...
* "भारत छोड़ो" (Quit India) का नारा "युसुफ़ मेहर अली" ने दिया था और इंन्होने ही 'साईमन गो बैक' (Simon Go Back) का नारा दिया था..
और हाँ "सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल मे है" बिहार के लाल 'बिसमिल अज़ीमाबादी' ने 1921 मेँ लिखा था ....
आख़िर मे इक़बाल का लिखा "तराना-ए-हिन्दी" तो याद होगा ही ??
सारे जहाँ से अच्छा, हिन्दोस्ताँ हमारा।
अगर याद नही है तो किसी भी ट्रेन पर चढ़ जाईये हर दरवाज़े के ऊपर " हिन्दी हैं हम वतन हैं, हिन्दोस्ताँ हमारा।। सारे..." लिखा हुआ मिल जाएगा
* "मादरे वतन भारत की जय" का ये नारा 'अज़ीम उल्ला ह ख़ाँ' ने 1857 मे दिया था..
* "जय हिन्द" का नारा आबिद हसन 'साफ़रानी' ने दिया था..
* "इंक़लाब ज़िँदाबाद" का नारा 'हसरत मोहानी' ने दिया था...
* "भारत छोड़ो" (Quit India) का नारा "युसुफ़ मेहर अली" ने दिया था और इंन्होने ही 'साईमन गो बैक' (Simon Go Back) का नारा दिया था..
और हाँ "सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल मे है" बिहार के लाल 'बिसमिल अज़ीमाबादी' ने 1921 मेँ लिखा था ....
आख़िर मे इक़बाल का लिखा "तराना-ए-हिन्दी" तो याद होगा ही ??
सारे जहाँ से अच्छा, हिन्दोस्ताँ हमारा।
अगर याद नही है तो किसी भी ट्रेन पर चढ़ जाईये हर दरवाज़े के ऊपर " हिन्दी हैं हम वतन हैं, हिन्दोस्ताँ हमारा।। सारे..." लिखा हुआ मिल जाएगा
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