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21 मार्च 2016

भारत में जन्मी ,,भारत को आज़ादी दिलाने वाली ,,इंक़लाब ज़िंदाबाद ,,,सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा ,,का नारा ,,तराना देने वाली उर्दू जुबान के लेखकों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकारों पर कुठाराघात कतई बर्दाश्त नहीं होगा

राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी,,,,,अल्पसंख्यक विभाग ,,,,,कोटा संभाग के चेयरमेन ,,,,एडवोकेट अख्तर खान अकेला ने कहा है के ,,भारत में जन्मी ,,भारत को आज़ादी दिलाने वाली ,,इंक़लाब ज़िंदाबाद ,,,सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा ,,का नारा ,,तराना देने वाली उर्दू जुबान के लेखकों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकारों पर कुठाराघात कतई बर्दाश्त नहीं होगा ,,इसके लिए ,,उर्दू के हमदर्दो और इन्साफ पसंद लोगों के साथ मिलकर शीघ्र ही राष्ट्रव्यापी आंदोलन चलाया जाएगा ,,,,,हाल ही में भारत सरकार के मानवसंसाधन मंत्रालय ने केवल उर्दू के लेखको पर पाबंदी लगाई है के कोई भी अभिव्यक्ति ,,पुस्तक ,,के बारे में ,,उर्दू लेखक, आपकी किताब सरकार या देश विरोधी तो नहीं ? केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले उर्दू भाषा के प्रचार के लिए राष्ट्रीय समिति (एनसीपीयूएल) ने एक फॉर्म जारी किया है, जिसमें लेखकों को हर साल इस बात की घोषणा करनी होगी कि उनकी किताब सरकार या देश के ख़िलाफ़ नहीं है,,, और चेत जायें कि,,अगर घोषणा पत्र में किए गए दावे गलत पाए जाते हैं तो एनसीपीयूएल उस लेखक के ख़िलाफ़ कानूनी कार्रवाई कर सकता है और आर्थिक सहायता वापस ले सकता है,,,राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी ,,,अल्पसंख्यक विभाग के प्रदेश अध्यक्ष ,,,निज़ाम कुरैशी ने ,,इस मामले में अल्पसंख्यक विभाग की तरफ से विरोध दर्ज करवाकर ,,,उर्दू के खिलाफ इस पाबंदी को खत्म करवाने के लिए शांतिपूर्ण आंदोलन चलाने का आह्वान भी किया था ,,इसी संदर्भ में आज कोटा संभाग कार्यकारिणी की आपात बैठक बुलाई गई जिसमे संभाग सचिव तबरेज़ पठान ,,,कोटा शहर अध्यक्ष अब्दुल करीम खान ,,,देहात अध्यक्ष साजिद जावेद ,,,,शाहबुद्दीन फ़ारूक़ी ,,,शाहनवाज़ खान ,,,इकराम खान ,,कयामुद्दीन अब्बासी ,,संजीव जैन ,,वर्जिलियस हैरी ,,सलीम खान ,,सहित कई उर्दू के हमदर्द मौजूद थे ,,,बैठक की अध्यक्षता करते हुए संभाग अध्यक्ष एडवोकेट अख्तर खान अकेला ने कहा के ,,आज़ादी के 1857 के आंदोलन के बाद देश में आज़ादी की जंग को दबाये रखने के लिए ,,उर्दू पर इसी तरह की पाबंदी लगाई थी ,,अंग्रेज़ों ने आज़ादी की जंग की हिमायत करने वाले तीन सो से भी अधिक उर्दू के प्रकाशन ज़ब्त किये थे ,,सैकड़ों उर्दू लेखकों के खिलाफ कार्यवाही की ,,जबकि हिंदी और दूसरी भाषा के सिर्फ दो दर्जन लेखकों को ही पाबंद किया गया था ,,अख्तर खान ने कहा के ,,देश को राजद्रोहियों सो कोल्ड राष्ट्रभक्तो से आज़ादी का जो संघर्ष है उसे दबाने के लिए के लिए ,,अंग्रेज़ों की हुकूमत की तर्ज़ पर ही यह तालिबान आदेश जारी किया गया है ,,जो कतई मंज़ूर नहीं है ,,,प्रवक्ता महासचिव तबरेज़ पठान ने कहा के उर्दू ज़ुबान हिन्दुस्तान की ज़ुबान है इसके सिर्फ उर्दू होने की वजह से भेदभाव बर्दाश्त नहीं किया जाएगा ,,कोटा शहर अध्यक्ष अब्दुल करीम खान ने कहा के मोदी सरकार उर्दू को सिर्फ मुसलमानो की ज़ुबान समझने की भूल कर रही है इसीलिए इस ज़ुबान को आतंकवाद से जोड़कर यह फरमान जारी किया गया है ,,देहात अध्यक्ष साजिद जावेद ने कहा के देश भर में इस मुद्दे पर राष्ट्रव्यापी आंदोलन छेड़ने की ज़रुरत है ,,उर्दू एक अदब की संस्कारिक जुबांन है जिसमे हिन्दुस्तान की तहज़ीब ,,हिन्दुस्तानियत का साहित्य ,,हिंदुस्तान की हिफाज़त के लिए लिखे गए गीतों ,,नारों का एक खज़ाना है जो आज भी इंक़लाब ज़िंदाबाद के रूप में हम रोज़ कहते है ,,,,,,बस यही नारा वर्तमान भाजपा सरकार जो गरीबों का शोषण कर रही है उसे मंज़ूर नहीं ,,,बैठक में सर्वसम्मति से राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन देकर इस तुगलकी फरमान को हटाने की मांग की गई ,,बैठक में कहा गया के यह क़ानूनी पाबंदी तो देश की हर भाषा में लिखे गए साहित्य और पुस्तकों के लिए है ,,इसे केवल उर्दू पर ही लागू करना और प्रचारित करने के पीछे सरकार की साज़िश साफ़ नज़र आती है ,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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