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04 मार्च 2016

कुछ लोगों की उम्र तो बढ़ती है ,,लेकिन अक़्ल नहीं ,

कुछ लोगों की उम्र तो बढ़ती है ,,लेकिन अक़्ल नहीं ,,यार यह कड़वा सच ,,खुद ने खुद के लिए ही कह दिया ,,,बेचारे इतने उम्र के हो गए ,,संघ के संस्कारवान है ,,अपने बढे ,,आडवाणी ,,मुरलीमनोहर सहित कोई लोगों का सम्मान रखना भी नहीं आया ,,पत्नी का सम्मान नहीं आया ,,विदेशो में घूम आये ,,मुख्यमंत्री से प्रधानमंत्री बन गए ,,,मुद्दों पर बोलना नहीं आया ,,टूरिस्ट प्रधानमंत्री तो बन गए ,,लेकिन देश के मुद्दों पर एक अलफ़ाज़ नहीं बोलना आया ,,,प्रतिपक्ष सीमित ,,गिनती का है ,,उम्र तो बढ़ गई ,,अक़्ल नहीं आई के राष्ट्रभक्ति क्या होती है ,,शासन कैसे चलाया जाता है ,,प्रधानमंत्री के क्या कर्तव्य है ,,,प्रतिपक्ष की बात का सम्मान कैसे होता है ,,,,एक छोटे से बच्चे से भी हार के डर से जो लगातार बोखलाता रहे ,,,जिसके कार्यकर्ता एक छोटे से बच्चे पर हमलावर हो ,,एक छोटे से बच्चे की बात का जवाब जिसे देने को मजबूर होना पढ़े ,,एक छोटे से बच्चे की राष्ट्रवाद की परिभाषा के आगे ,,छद्म राष्ट्रवाद का हव्वा ,,केंद्र सरकार के मंत्रियो ,,अधिकारीयों ,,पुलिस और मिडिया दलाल की सारी वकालत के बाद भी ,,अगर बढ़ी उम्र वाले की छद्म परिभाषा हार जाए तो सच तो यही है ,,उम तो बढ़ी है ,,लेकिन अक़्ल नहीं ,,,इसके लिए ,बढ़ो और बुज़ुर्गों का दिल से सम्मान करना पढ़ता है ,,दिखावा या उनकी उपेक्षा कर उन्हें नज़र अंदाज़ नहीं किया जाता जनाब ,,अख्तर

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