अजीब बात है ,,जिन वकीलों के दम पर देश आज़ाद हुआ ,,जिन वकीलों की
ज़िम्मेदारी देश की आज़ादी को ,,देश के क़ानून को सुरक्षित रखना है ,,वही वकील
अब सियासी पार्टियों में बंटकर क़ानून तोड़ने लगे है ,,अपनी अपनी पार्टियों
में बंट गए है ,,,कांग्रेस का विधिक विभाग बना है ,,भाजपा की अधिवक्ता
परिषद बनी है ,,दूसरी पार्टियों की भी वकीलों ने अपना संगठन बना लिया है
,,अदालतों में पैरवी से इंकार ,,अदालतों में वकीलों अभियुक्तो पर हमलेबाज़ी
,,हमलावरों का समर्थन शर्म की बात है ,,अधिवक्ता क़ानून ,,देश के संविधान
के खिलाफ है ,,,ऐसे वकीलों का वकालत का लाइसेंस निरस्त होना ज़रूरी हो गया
है ,,वकील को अदालत में अपनी क़ानून की दलीलों पर भरोसा होना चाहिए ,,उसकी
क़ानून की पकड़ होना चाहिए ,,अगर वकील दिल्ली में अपराधियों को राजद्रोही
मानते है तो अपनी दलीलों से ,,मुफ्त विधिक सहायता उपलब्ध कराकर ऐसे
आरोपियों को फांसी की सजा दिलवाए ,,लेकिन अदालत में इंसाफ की तलाश में लाये
गए लोगों के साथ अपराधिक हरकते ,,अपनी गली में कुत्ता भी शेर होता है
,,कहावत साबित होती है ,,,साथ ही वकीलों की मर्यादा भंग होने से सर शर्म से
झुक जाता है ,,, जो लोग ,,जो वकील सियासत करना चाहते है ,,पार्टियों का
समर्थन करना चाहते है वोह अपना कोट उतारे ,,,अदालत से बाहर जाए और फिर
अदालत से बाहर जाकर सड़को पर ,,चौराहों पर अपनी राष्ट्रभक्ति दिखाए ,,अदालत
मे तो सिर्फ इंसाफ और क़ानून का राज है ,,वकीलों की मर्यादा है ,,मामला
सुप्रीम कोर्ट में है देखते है फैसला क्या आता है ,,,अख्तर
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)