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03 फ़रवरी 2016

मुस्लिम समाज में मज़हबी शिक्षा के साथ साथ दुनियावी शिक्षा की अलख जगाने की ज़िम्मेदारी ,,राजस्थान मदरसा बोर्ड के चेयरमेन के रूप में बहन मेहरुन्निसा टाक को मिल तो गई

राजस्थान के मुस्लिम समाज में मज़हबी शिक्षा के साथ साथ दुनियावी शिक्षा की अलख जगाने की ज़िम्मेदारी ,,राजस्थान मदरसा बोर्ड के चेयरमेन के रूप में बहन मेहरुन्निसा टाक को मिल तो गई ,,लेकिन यह चुनौतीपूर्ण होने से कांटो के ताज के समान है ,,इस ताज को जगमगाने और फूलों सी खुशबु के साथ महकाने के लिए ,,महरुन्निसा टॉक को सरकार के साथ दबंगाई से पेश आकर ,,मदरसा शिक्षा की सभी सुविधाये सरकार के जबाड़े से निकालना होंगी ,,,,राजस्थान मदरसा बोर्ड राजस्थान के मुस्लिमो के लिए एक छलावा ,,एक धोखा बन गया है ,,पैराटीचर्स को भवन नहीं है ,,सुविधाये नहीं है ,,न्यूतम मज़दूरी से भी बहुत कम ,,,ऊंट के मुंह में जीरे के समान मानदेय वक़्त पर नहीं दिया जा रहा है ,,और इस भुगतान में भी मदरसा बोर्ड में महाभ्रष्टाचार चल रहा है ,,,पिछले दिनों की सरकारों में मदरसा शिक्षा का बजट कभी बिजली विभाग को दिया गया ,,तो कभी पश्चिमी बंगाल आवंटित हुआ ,,यहां मदरसा शिक्षा के आधुनिकीकरण के लिए आवंटित बजट को हमारी पिछली सरकार पूरा भी इस्तेमाल नहीं कर सकी ,,नतीजा हमारा मदरसो का बजट केंद्र सरकार में बिना किसी उपयोग के वापस जाता रहा ,,,पिछली सरकार में महंगी फीस लगाकर बेरोज़गार मुस्लिम समाज के लोगों को मदरसा बोर्ड में नौकरी देने के लिए आवेदन मांगे गए थे ,,फीस ली ,,पोस्टल ऑर्डर लिए ,,चार पांच सो रूपये एक आवेदक के खर्च हुए ,,,पैराटीचर्स भर्ती की विज्ञप्ति संख्या 1 / 2013 के ज़रिये 3500 पद उर्दू पैराटीचर्स ,,,2500 पद कम्प्यूटर पैराटीचर्स के लिए भरना थे ,,बजट था स्वीकृति थी ,,आवेदन मांग लिए गए थे ,,लेकिन आवेदको से आवेदन का मोटा शुल्क वसूलकर करोड़ो रूपये सरकार के खाते में जमा करने के बाद भी एक भी पैराटीचर्स को नौकरी नहीं दी गई ,,उलटे जो पैराटीचर्स है उन्हें भी वक़्त पर मानदेय भुगतान नहीं हुआ ,,मदरसा कम्प्यूटरीकरण ,,मदरसा आधुनिकीकरण ,,मदरसो का अपना भवन ,,मदरसों में कम्प्यूटर ,,खेलकूद सामग्री किसी का लाभ भी मदरसा पैराटीचर्स को नहीं मिला ,,दुखी लुटे पिटे पैराटीचर्स को कथित शिक्षक संगठनो द्वारा चन्दवासुली कर उन्हें लूटा जाता रहा ,,चंदा वसूली कर स्वागत सत्कार कार्यक्रम करवाये जाते रहे ,,सरकार की चापलूसी चमचागिरी की जाती रही लेकिन नतीजे के नाम पर सिफर रहा ,,उर्दू मदरसा पैराटीचर्स की समस्या आज भी जस की तस है ,,महरुन्निसा टाक के मदरसा बोर्ड के चेयरमेन पद की नियुक्ति से कई लोग खुश नहीं है ,,लेकिन घर घर मुस्लिम समाज ,,खासकर बेटियो में शिक्षा की अलख जगाने में मेहरुन्निसा अव्वल साबित हो सकती है ,,एक तरफ तो मदरसो का आधुनिकीकरण हो ,,कम्पुयटरीकरण हो ,,बेरोज़गारों को रोज़गार दे ,,,अटकी हुई नियुक्तियों को पोस्टिंग दे ,,,,बच्चो का नामांकन बढ़वाएं ,,मुख्यमंत्री महिला है ,,,केंद्रीय मानवसंसाधन मंत्री स्मृति ईरानी महिला है ,,,केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय की मंत्री नजमा हेपतुल्ला महिला है ,,महरुन्निसा इन सभी के सामने मदरसो के आधुनिकीकरण ,,स्थाई पैराटीचर्स योजना सहित कई योजनाये अगर पूर्व सर्वे कर रखे तो निश्चित तोर पर राजस्थान में मदरसा शिक्षा के नाम पर शिक्षा का एक आधुनिक दौर ऐतिहासिक हो सकता है ,,एक बात और ध्यान रखना होगी ,,मदरसा शिक्षा दीनी तालीम से जुडी है ,,जिसकी अधिकतम किताबे अरबी भाषा में आती है ,,इसलिए मदरसा पैराटीचर नियुक्ति के लिए ,,,पात्र योग्यता में उर्दू की जानकारी के अलावा अरबी यानी दीन की ज़ुबान की जानकारी भी आवश्यक रखी जाये और पोस्टिंग देने के पहले साक्षात्कार के दौरान आवेदक से उर्दू के अलावा ,,अरबी के भी कुछ पृष्ठ पढ़वाकर उनका परीक्षण किया जाये ताके सही लोग ही पैराटीचर्स के लिए नियुक्त हो सके ,,,,,,,,,,, वर्तमान में राजस्थान में 3842 मदरसे प्राथमिक और 319 उच्च प्रार्थमिक स्तर के मदरसे है ,,,मदरसो में ढाई लाख से भी अधिक बच्चे पढ़ रहे है ,,,, राजस्थान मदरसा बोर्ड का गठन प्रारंभिक शिक्षा विभाग के पत्र क्रमांक प. 16(1) शिक्षा-1 प्राशि/2002 दिनांक 27.01.2003 संशोधन आदेश दिनांक 11.08.2003 द्वारा किया गया |
अल्पसंख्यक मामलात विभाग के आदेश क्रमांक: निस/प्रशा./अ. म. वक़्फ़ /2011/111 दिनांक 04.02.2011 द्वारा राजस्थान मदरसा बोर्ड, जयपुर के संचालक हेतु नियम एवं विनियम तथा वित्तीय प्रबंधन लागू किये गए हैं । जिनमे बोर्ड के उद्देश्यों, बोर्ड गठन की संरचना, वित्तीय अधिकारों का विवरण दिया गया हैं । उक्त नियमों के तहत ही बोर्ड द्वारा गतिविधियों का संचालन किया जाता हैं |बजट के नाम पर वर्ष 2014 में 5802.02,,लाख रूपये का बजट था जबकि 2015 में यह बजट 6331.7 लाख रूपये किया गया ,,लेकिन बजट में स्वीकृत रुपया कहा है पता नहीं ,,,मदरसों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने हेतु राजस्थान मदरसा बोर्ड द्वारा समय-समय पर शिक्षण सामग्री वितरित की जाती हैं । जिसके अंतर्गत टीएलएम, साइंस किट,मैथ्स किट,ग्लोब चार्ट,दरी-पट्टी और कंप्यूटर आदि वितरित किये जाते हैं |
केंद्र प्रवर्तित एसपीक्यूईएम योजना में भी योजनांतर्गत चयनित 429 मदरसों को टीएलएम मद से 50,000/- रुपये प्रति मदरसा साइंस और मैथ्स किट हेतु 15,000 /- रुपये प्रति मदरसा उपलब्ध कराये गए और साथ ही कंप्यूटर क्रय करने हेतु 1 लाख रुपये प्रति मदरसा उपलब्ध करवाई गई |वर्तमान में मदरसा बोर्ड में कई पद भी रिक्त पढ़े हुए है ,,मदरसा बोर्ड को अभी तक संवेधानिक दर्जा नहीं दिया गया है ,,यहां मदरसा बोर्ड का स्वतंत्र अस्तित्व नहीं है ,,मेहरुन्निसा टाक देखते है कैसे इन हालातो पर काबू पाकर राजस्थान में मदरसा शिक्षा के नाम पर व्याप्त भ्र्ष्टाचार को रोकती है और नए मदरसे स्थापित करवाकर म सलीम मुस्लिम शिक्षा के प्रति जागरूकता क़ायम कर ,,उन्हें केंद्र से मदरसा आधुनिकीकरण और शिक्षा के नाम पर मिलने वाला उनका हक़ दिलवाती है ,,कैसे वोह हज़ारो अटकी हुई नियुक्तियों पर बेरोज़गारों को ईमानदारी से रोज़गार दिलवाती है ,,,चमचो ,,चापलूसों से दूर रहकर कैसे वोह इस मदरसा शिक्षा ,,को आधुनिक मदरसा साबित कर ,,लोगों को क़ुरआन की आयत ,,,सूरे इक़रा का ज्ञान देती है ,,जिसमे हर मसुलिम ,,दुनिया के हर शख्स को आदेश दिया गया है ,,पढ़ो ,,पढ़ो ,,पढ़ो इतना पढ़ो ,,के अगर तुम्हे पढ़ने के लिए चीन भी जाना पढ़े तो जाकर पढ़ो ,,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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