आपका-अख्तर खान

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19 दिसंबर 2015

तुम्हारी खुशियो

तुम्हारी खुशियो
के आँगन में
खेल रहा है मेरा दिल
थोड़ा धीरे खेलना
बहुत नाज़ुक है
टूट ना जाए कहीं
मुझे पता है
इस दिल के टूटने पर
तुम्हारे पास खेलने को
खिलौना दूसरा न होगा
तुम्हारी मायूसी
मुझे फिर अच्छी नहीं लगेगी
बस इसीलिए
थोड़ा प्यार से
थोड़ा इक़रार से खेलों
मेरे इस दिल से
यह किसी और का तो नहीं
तुम्हारा सिर्फ तुम्हारा
खिलौना ही तो है ,,अख्तर

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