प्रसिद्ध ब्लॉगर और सोशल मिडिया एटिविस्ट,,शाहनवाज़ साहिल ,,, ने आज सोशल
मीडिया पर एक जलता हुआ मज़हबी सवाल किया ,,त्योहारो पर जुलुस क्यों निकलते
है ,,,मेरे पास तत्काल कोई जवाब नहीं था ,,मेने मज़हबों को फिर पढा
,,मज़हबों के जनक वेदों को देखा ,,लेकिन सच कहीं जुलुस का नज़ारा नहीं दिखा
,,,,क्रिश्चियन मज़हब का कहीं जुलुस का प्रावधान नज़र नहीं आया ,,चर्च में
जश्न ,,प्यार स्नेह बंधन और ईश्वर की उपासना यही धर्म है ,,लेकिन हमारे देश
में सियासत और धर्म एक साथ मिला दिए गए है ,,जातियाँ ,,उपजातियां
,,उपासना पद्धतियाँ ,सियासत की शिकार है ,,,धार्मिक आस्थाएं नहीं ,धार्मिक
शक्ति प्रदर्शन होने लगे है ,,कुछ गिनती के लोग धर्म की भीड़ के साथ खुद
के फोटु खिंचवाकर ,,नेताओं को बताते है ,,धर्म के नाम पर निकली इस भीड़ को
वोटर के रूप में बताकर यहां के सियासी लोग टिकिट और राजकीय पद हांसिल करने
में जुट जाते है ,,,ऐसे में कुछ चन्दाखोर ,,धार्मिक रीती रिवाजो को आस्थाओ
से अलग हठकर मनोरंजन से भी जोड़कर देखते है और फिर महिलाओं का ऐसे आयोजनों
में शामिल होने से ऐसे जुलूसों की प्रवृतियों को और भी बढ़ावा मिल रहा है
,,,सजी संवरी महिलाये ,,ऐसे मज़हबी जुलूसों में निकलती है ,,,,,मेले की तरह
धक्का पेलम होती है ,,,बस ,,,,,,,,,,,,,मज़हब एक स्थान पर जमा होकर मज़हबी
बात करने की हिदायत तो देता है ,,,मज़हब एक जगह एकत्रित होकर ,,सामूहिक पूजा
पाठ ,,इबादत के निर्देश तो देता है ,,लेकिन जुलुस का ख्याल ,,जुलुस की
रिवायत किसी भी धर्म में नहीं मिली ,,शायद इसीलिए हिन्दुस्तान ,,पाकिस्तान
,,बांग्लादेश के सिवा दूसरे देशो में ऐसा नहीं होता ,,,,हो सकता है मेरी
जानकारी अधूरी हो ,,अगर मेरे किसी भाई ,,मेरी किसी बहन को इसमें नई पुख्ता
,,धर्म ग्रन्थ आधारित जानकारी मिले तो प्लीज़ मेरी गलती सुधारने की महरबानी
करे ,,अगर मेरी जानकारी सही है तो फिर सियासत के नाम पर मज़हब को जुलूस और
शक्तिप्रदर्शन जैसे रूप देने की बुराइयों के शुद्धिकरण में मेरी मदद करे
,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)