शाबाश,,, नरेंद्र मोदी ,,शाबाश ,,प्रधानमंत्री बनने के बाद ,,पहली,,, बार
तुम्हे शाबाशी देने का दिल करता है ,,एक कड़वा ,,,,गैर सियासी सच यह है
,,के ,,,कोई भी शख्स ,,,चुनाव तक किसी ना किसी,,, सियासी पार्टी का होता है
,,,और फिर निर्वाचन होने के बाद,,,, अगर वोह देश के प्रधानमंत्री हो
जाए,,,,तो वोह किसी पार्टी के नहीं ,,किसी व्यक्ति के नहीं,,, पुरे देश के
प्रधानमंत्री हो जाते है ,,ऐसे में ,,,,बिना किसी सियासी ईर्ष्या के ,,सच
को क़ुबूलना होगा ,,,भारत पाकिस्तान की नीतियों ,के मामले में ,दोस्ती के
तोर तरीक़ो को ,,आगे बढ़ाने की एक सुनियोजित योजना के तहत जो शुरुआत की
,,चाहे वोह नरेंद्र मोदी की निजी तोर पर आलोचना का ज़रिया बन सकती है,,,
लेकिन देश और देश की ,,,सुख शान्ति के लिए ,,,यह शुरुआत बहतरीन साबित होगी
,,,,,दोस्तों ,,,सभी जानते है के ,,,नरेंद्र मोदी भारत की धरोहर है ,,,उनकी
जान ,,,देश के लिए क़ीमती ही नहीं ,,,बेशक़ीमती है ,,ऎसे में ,,,जो देश
साज़िशों के तहत,,, अपने प्रधानमंत्रियों ,,राष्ट्रपतियों ,,को मार चुका
हो,,, उस देश में जाने के पहले ,,,सुरक्षा के ऐतेबार से ,,,गोपनीयता तो
बरतना ही चाहिए थी ,,इस मामले में,,, हमारे देश के बेवक़ूफ़ पत्रकारों को
,,,नाराज़ नहीं होना चाहिए ,,उन्हें सोचना चाहिए ,,,के जब नरेंद्र मोदी ने
शपथग्रहण समारोह में देश के सभी प्रधानमंत्रियों , ,राजनयिकों के साथ ,,,
नवाज़ शरीफ को भी बुलाया था ,.,,तभी उनकी पाकिस्तान सहित ,,अंतर्राष्ट्रीय
स्तर पर अच्छे संबंधो की शुरुआत हो गई थी ,,नवाज़ ,,नरेंद्र मोदी,,, कई
बार दूसरे देशो में मिले ,,बात हुई,,, लेकिन सीक्रेट प्लान था ,,सुषमा
स्वराज,,, विदेश मंत्री के नाते पाकिस्तान जो बीज बोकर आई ,,उस फसल को
काटने के लिए,,,, नरेंद्र मोदी गए है ,,,,निश्चित तोर पर,,, नरेंद्र मोदी
का लाहोर दौरा ,,,पूर्व नियोजित था ,,,,,,कल मेने लिखा था के काश ,,
नरेदंर मोदी ने ,,,पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से,, कुछ सीखा
होता ,,मेने गलत लिखा था ,,मुझे यह स्वीकारने में कोई शर्म नहीं ,,,के कल
नरेंद्र मोदी के बारे में,,, मेरा आंकलन गलत था ,,,,लेकिन,,, एक ख़ास
वक़्त ,,,जब पाकिस्तान में ,,भारत से ,,,पाकिस्तान को अलग करने वाले
,,जिन्ना का जन्म दिन बनाया जा रहा हो ,,पुरे पाकिस्तान में ,,,क़ायद ऐ आज़म
जिन्ना की ,,,सालगिरह का जश्न हो ,,,,,,,,,,,,,,,पाकिस्तान सजाया गया हो
,,,पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ,,,नवाज़ शरीफ का जन्म दिन हो ,,,भारत के
पूर्व प्रधानमंत्री ,,अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म दिन हो ,,,,,,क्रिसमस का
त्यौहार हो ,, अमन सुकून और सुलह का पैगाम देने वाले ,हुज़ूर मोहम्मद साहब
स अ व जश्न ऐ आमद मनाया गया हो ,,तब अचानक ,,,भारत के प्रधानमंत्री
,,,पूर्व योजना के तहत लाहोर जाकर,,,, सभी को चौंका देते है ,,मेरे लिए यह
कोई आकस्मिक ,,,सरप्राइज़ देने वाली बात नहीं ,,,नरेंद्र मोदी की ,,,यह
कार्ययोजना का एक हिस्सा थी ,,भारत और पाकिस्तान के अलगाववादियों
,,,आतंकवादियों के खतरे से ,,,बचने की भारत और पाकिस्तान की खुफिया
एजेंसियों की ,,,यह एक गुप्त सुरक्षित योजना ,, दोनों देशो की शांति वार्ता
के लिए ज़रूरी भी थी ,,,यह तो सच है के जब दो लोग मिलते है ,,दिल से मिलते
है ,,,तो कुछ न कुछ फायदा तो ज़रूर होता है ,,,आतंकवादी घटनाये ,,नहीं मिले
तब भी होती रही है ,,,हो सकता है अलगाववादी आगे भी ऐसी हरकते करे ,,,समझोता
एक्सप्रेस ब्लास्ट सहित कई घटनाओ में देश के कई अलगाववादी लोगों को भारत
की पाकिस्तान से वार्ता अच्छी नहीं लगती ,,,नरेंद्र मोदी को इस लाहोर दौरे
के लिए गेरो से ज़्यादा,,, अपनों के हमलों का शिकार बनना पढ़ेगा ,,लेकिन
नरेंद्र मोदी ने जो किया सही किया ,,फूंक फूंक कर किया ,,वोह जो भी गुप्त
वार्ता है ,,,उसके पत्ते सुरक्षा और अलगाववादियों की वजह से ,,,प्याज की
परतों की तरह,,, धीरे धीरे खोलेंगे ,,ऐसा होना भी चाहिए ,,,,,भारत
पाकिस्तान के बीच,,, सरकार का वनवास,,, बाराह साल के एक साल पूर्व ग्यारह
सालों में ही पूरा हो गया है ,,,,,जब अटल बिहारी वाजपेयी की समझोता के बाद
असीमानंद और प्रज्ञा साध्वी बम विस्फोट करा सकते है ,,तो अभी भारत में और
सुरक्षा की ज़रूरते बढ़ गई है ,,,,देश में अलगाववादी ,,,कट्टर पंथी जिन्हे
देश की नीतियो और देश के संविधान पर भरोसा नहीं ,,,जो देश का तिरंगा हठा
कर,,, एक रंगा झंडा फहराना चाहते है ,,,,अब वोह लोग नरेंद्र मोदी के सियासी
तोर पर और जाने तोर पर दुश्मन हो गए है ,,देश के पत्रकार ,,चैनलों के
सबसे तेज़ चैनल होने के दावे खोखले साबित हुए है ,,,मोदी भक्त अख़बार
रिपोर्टर भी गच्चा खा गए ,,,,,,देश की सियासत नरेंद्र मोदी ,,शरीफ के मिलन
पर कुछ भी कहे लेकिन ,,मेरा तो नरेंद मोदी की इस अदा पर उन्हें शाबाशी
देने का मन करता है ,,वोह बात और है के देश में अरुण जेठली के भ्रष्टाचार
के मुद्दे से अब लोग भटक कर इस तरफ मुखातिब होंगे ,,लेकिन नतीजे ,,धीरे
धीरे ,,,अच्छे और सकारात्मक ज़रूर आएंगे ,,,नहीं भी आये तो कोई फ़र्क़ नहीं
पढ़ता ,,क्योंकि हम पा हम पाकिस्तान से बहुत ज़्यादा उम्मीद नहीं कर सकते
,,बहुत ज़्यादा उस पर भरोसा नहीं कर सकते ,,फिर भी अंतर्राष्ट्रीय
डिप्लोमेटिक नीति का यह एक बेहतरीन कामयाब हिस्सा है ,,जिसे हमारे देश भारत
ने जीत लिया है ,,,,,,,,,,,,,,दाऊद आएगा ,,,,हाफिज सईद आएगा ,,यह बाद की
बाते है ,,लेकिन शुरुआत तो हुई ,,,नरेंद्र मोदी का क़ायद ऐ आज़म पाकिस्तान
जिन्ना के जन्म दिन पर ,,,पाकिस्तान जाना पढ़ा ,,,इस जश्न के साथ ,,नवाज़
शरीफ की सालगिरह के जश्न में शामिल होना पढ़ा ,,,,शादी के पूर्व कार्यक्रम
में आशीर्वाद देना पढ़ा ,,,इन सब को व्यवस्थित तरीके से सावधानी पूर्वक
प्रकाशित करने की ज़रूरत है ,,वरना जिन्ना का जिन पहले लालकृष्ण आडवाणी और
जसवंत सिंह को लीर चुका है ,,,,,अब नरेंद्र मोदी को उनकी ही पार्टी के कथित
समर्थक कटट्रपंथियों से सावधान रहने की ज़रूरत है ,,क्योंकि अब वोह फन
उठाकर फ़ुफ़कारने लगे है ,,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान ,
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