आपका-अख्तर खान

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26 दिसंबर 2015

नदी का वोह किनारा

नदी में उठती वोह लहरे
नदी का वोह किनारा
मुझ से तुम्हारी वफ़ा को लेकर
सवाल करते है
चहचहाती वोह चिड़िये
मुझ से तुम्हारी वफ़ा को लेकर
सवाल करते है
गुलाब से निकलती हर महक
मुझ से तुम्हारी वफ़ा को लेकर
सवाल करते है
नदी में उछलती वोह मछलिया
मुझ से तुम्हारी वफ़ा को लेकर
सवाल करते है
उनको सबको मेरा एक ही जवाब
मेरा सनम लाजवाब ,,लाजवाब
मेरा सनम वफादार वफादार
बस इतना कहता हूँ और मेरी
आँख खुल जाती है
सपना टूट जाता है ,,
सच अब तो तुम्हारी वफ़ा भी
लाजवाब हाँ ला जवाब है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

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