तुम्हारी आदत जो है
मेरे आंसू देखने की
बस इसी लिए शायद
मेरी हंसी ,,मेरी ख़ुशी
तुम्हे ज़रा भी रास न आई
मुझे रुलाकर ,,मुझे तड़पाकर
तूम अब खुश हो
हम यह भी सह लेते है
तुम्हारी ख़ुशी के खातिर ,,अख्तर
मेरे आंसू देखने की
बस इसी लिए शायद
मेरी हंसी ,,मेरी ख़ुशी
तुम्हे ज़रा भी रास न आई
मुझे रुलाकर ,,मुझे तड़पाकर
तूम अब खुश हो
हम यह भी सह लेते है
तुम्हारी ख़ुशी के खातिर ,,अख्तर
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