मंदिर के बाहर मुस्लिम फ़क़ीर भी बैठता है तो मस्जिद के बाहर हिन्दू फ़क़ीर भी
बैठता है ,,सभी को अल्लाह ,,ईश्वर देता है ,,किसी को खून की ज़रूरत होती है
तो कोई यह नहीं पूंछता के यह हिन्दू का है या फिर मुसलमान का ,,किसी को
किडनी की ,,किसी को आँखों की ज़रूरत होती है तो कोई यह नहीं पूंछता यह
हिन्दू की है या फिर मुसलमान की ,,दुकानो पर खरीददार यह नहीं पूंछता के यह
हिन्दू की है ,या फिर मुसलमान की ,,,मिस्त्री के यहां कोई गाढ़ी ठीक करते
वक़्त यह नहीं पूंछता के यह हिन्दू की है या फिर मुसलमान की ,,,शादियों
में कार्ड देते वक़्त पड़ोसी से कोई नहीं पूंछता के यह हिन्दू है या फिर
मुसलमान ,,हर शादी में सभी समुदाय के लोग दूल्हा दुल्हन को खुशियों से
आशीर्वाद देते नज़र आते है ,,अस्पतालों में हिन्दू मुसलमान की तो मुसलमान
हिन्दू की तबियत पूंछते नज़र आते है ,,,पड़ोस में बच्चे साथ खेलते है
,,स्कूलों में सभी एक दूसरे के दोस्त होते है ,,ट्रेन हिन्दू चला रहा है या
फिर मुसलमान कोई नहीं पूंछता ,,,,इलाज हिन्दू डॉक्टर कर रहा है या फिर
मुसलमान ,, पुल किस मज़हब का इंजीनियर बना रहा है ,,,बाल किस मज़हब वाले से
हम कटवा रहे है कोई नहीं देखता ,,,,हम त्योहारों पर एक दूसरे को मुबारकबाद
देते है ,,गले मिलते है ,,मिठाइयां खाते है ,,बच्चो के पास होने पर
,,बर्थडे होने पर मुबारकबाद देते है ,,सोशल मडिया पर खुल कर एक दूसरे से
बात करते है ,,फिर कहा है असहिष्णुता ,,मुझे कहीं देखने को नहीं मिलती
,,,हाँ असहिष्णुता है चँदेबाज़ो में ,,लूटेरों में ,,,,बेईमानो में
,,मिलावटखोरो में ,,भ्रष्ट लोगों में ,,हां असहिष्णुता है सियासी वोट
बटोरने वालों में जिनका ना मज़हब से लेना देना है ,,न देश से ,,ना देश की
सुख शांति से ही उनका कोई वास्ता है ,,एक अखलाक़ को घेर कर मार देने से देश
के सभी हिन्दू मुस्लिम विरोधी नहीं ,,एक असीमानंद ,एक साध्वी प्रज्ञा के बम
विस्फोट से सभी हिन्दू मसलमानों के दुश्मन नहीं ,,एक अफज़ल गुरु ,,एक मेनन
के हिन्दू विरोधी होने से सभी मुस्लिम हिन्दू विरोधी नहीं ,,आओ हम ऐसे
लोगों को ढूंढे जो हिन्दू को मुस्लिम से मुस्लिम को हिन्दू से लड़ाता है
,,बाद में सियासत में शामिल होकर अपनी पसंददीदा पार्टी को वोट देकर जिताने
की कहता है ,,ऐसे लोगों को हम बेनक़ाब करे ,,आओ ऐसे असहिष्णु समर्थकों और
प्रचारकों को हम लाजवाब करो ,,आओ हम एक दूसरे से गले मिलकर ऐसे लोगों को
लाजवाब करे ,,,,,आओ ऐसे लोगों को हम जानवर से इंसान बनाने की कवायद शुरू
करे जो हिन्दू को हिन्दू की नज़र से और मुस्लिम को मुस्ल्मि की नज़र से
देखता है ,,ऐसे जानवरो को आओ हम इंसान बनाये ,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा
राजस्थान
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