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23 नवंबर 2015

इन्टॉलरेंस का मुद्दा: आमिर खान ने कहा-बच्चों को लेकर पहली बार लग रहा है डर

फाइल फोटो- फिल्म एक्टर आमिर खान।
फाइल फोटो- फिल्म एक्टर आमिर खान।
नई दिल्ली. फिल्म एक्टर आमिर खान देश में कथित तौर पर बढ़ रही असहिष्णुता (इन्टॉलरेंस) के मुद्दे पर चल रही बहस में कूद पड़े हैं। आमिर ने कहा है कि देश में बने माहौल की वजह से अपने बच्चों को लेकर पहली बार डर लग रहा है। आमिर ने यह बात एक मीडिया ग्रुप के अवॉर्ड फंक्शन में कही। उन्होंने कहा कि एक बार तो उनकी पत्नी ने देश छोड़ने का मन भी बना लिया था। आमिर ने अवॉर्ड वापसी कैंपेन का एक तरह से समर्थन करते हुए यह भी कहा कि वे हर अहिंसक विरोध का समर्थन करते हैं।
'आतंक का कोई धर्म नहीं होता'
आमिर ने कहा कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता। आतंकवाद को धर्म से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। उन्होंने कहा, 'आप जब भी किसी हिंसक घटना को देखेते हैं, तो शख्स को सीधे आतंकी करार देते हैं। उस पर धर्म का टैग लगा दिया है।' उन्होंने यह भी कहा कि वे अगर किसी का समर्थन करते हैं तो सभी लोगों का करते हैं। उन्हें बस मुस्लिमों का ही प्रतिनिधि क्यों माना जाना चाहिए?
जेटली की मौजूदगी में दिया बयान
आमिर ने यह बयान तब दिया जब अवॉर्ड समारोह में केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली मौजूद थे। जेटली ने कुछ दिनों पहले अपने संबोधन में कहा था कि देश में इन्टॉलरेंस जैसी कोई स्थिति नहीं है। उन्होंने इसके खिलाफ हो रहे विरोध को बनावटी बताया था।
#Intolerance : हर महीने बढ़ता गया विवाद, हाेती रहीं घटनाएं
> गोमांस रखने के शक में यूपी के दादरी में एक शख्स की हत्या और कन्नड़ लेखक कलबुर्गी के मर्डर के बाद इन्टॉलरेंस का मुद्दा भड़का और अवॉर्ड वापसी की शुरुआत हुई।
> 40 से ज्यादा लेखकों ने साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाए। 13 इतिहासकार और कुछ वैज्ञानिकों ने भी राष्ट्रीय पुरस्कार लौटाए।
> पहले दिबाकर बनर्जी सहित 10 फिल्मकारों ने नेशनल अवॉर्ड लौटाए।
> राइटर अरुंधति रॉय और फिल्म ‘जाने भी दो यारो’ के डायरेक्टर कुंदन शाह ने नेशनल अवॉर्ड लौटाने का एलान किया। 24 और फिल्मकारों ने अवॉर्ड लौटा दिए।
>इन सभी का आरोप है कि देश में इन्टॉलरेंस यानी असहिष्णुता बढ़ रही है। मोदी सरकार कुछ नहीं कर रही। पीएम भी चुप्पी साधे हुए हैं।
> वहीं, अवॉर्ड वापसी के अभियान के खिलाफ भी कुछ लोगों ने अलग मुहिम शुरू की। पिछले दिनों एक्टर अनुपम खेर ने मार्च फॉर इंडिया निकालकर अवॉर्ड लौटा रहे लोगों का विरोध किया।
> इस बीच, जम्मू कश्मीर में विधायक इंजीनियर राशिद ने बीफ पार्टी दी तो कुछ विधायकों ने उनके साथ मारपीट कर दी।
> पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री शाह मेहमूद कसूरी को बुलाने पर मुंबई में शिवसैनिकों ने इवेंट के ऑर्गनाइजर और पूर्व बीजेपी नेता सुधींद्र कुलकर्णी को पीट दिया। शिवसेना ने गजल सिंगर गुलाम अली का प्रोग्राम भी नहीं होने दिया।
> बीजेपी की सरकार वाले राजस्थान की राजधानी जयपुर में एक आर्ट समिट में आर्टिस्ट सिद्धार्थ कलवार के साथ मारपीट हुई। कलवार ने गाय के पुतले को गुब्बारे के सहारे हवा में लटकाया था। इस पर 'पीपुल फॉर एनिमल' संस्था के लोगों ने उन्हें पीट दिया। पुलिस भी उन्हें अरेस्ट कर थाने ले गई।
> इन घटनाओं को भी इन्टॉलरेंस से जोड़कर देखा गया।
कुछ बयानों ने संभाला, कुछ ने विवाद और बढ़ाया
> राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मुद्दे पर एक से ज्यादा बार अपनी राय दे चुके हैं।
> दिल्ली में हाल ही में आइडोलॉजिस्ट की इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस में प्रेसिडेंट मुखर्जी ने कहा कि दुनियाभर में इन्टॉलरेंस के बदतर हालात कायम हैं। इससे पहले उन्होंने नेशनल प्रेस डे के मौके पर कहा था कि नेशनल अवॉर्ड प्रोफेशन में कड़ी मेहनत, टैलेंट और मेरिट के एवज में मिलते हैं। इन अवॉर्ड्स को पाने वालों को इनकी कद्र करनी चाहिए। वजहों पर जज्बात हावी नहीं होनी चाहिए। गैर-रजामंदी को डिबेट के जरिए जाहिर करना चाहिए।
> वहीं, पीएम नरेंद्र मोदी से ब्रिटेन दौरे पर मीडिया ने इन्टॉलरेंस पर सवाल कर लिया। इस पर मोदी ने कहा कि भारत गांधी और भगवान बुद्ध का देश है। भारत इन्टॉलरेंट नहीं है। फिर भी इन्टॉलरेंस की कोई भी घटना होती है तो हम उसे गंभीरता से लेते हैं और कानून अपना काम करता है।
>...लेकिन मोदी सरकार में विदेश राज्यमंत्री जनरल वी. के. सिंह ने पिछले दिनों एक विवादास्पद बयान दे दिया। उन्होंने कहा, ''इन्टॉलरेंस पर बहस गैरजरूरी है। खूब सारे पैसे देकर सरकार के खिलाफ माहौल बनाया गया। यह सिर्फ कुछ राजनीतिक पार्टियों के जरिए बिहार इलेक्शन में वोट पाने के लिए उठाया एक मुद्दा था।''
> इन्टॉलरेंस का मुद्दा भड़काने के आरोप अब गवर्नरों पर भी लग रहे हैं। पश्चिम बंगाल बीजेपी के प्रेसिडेंट रहे और अब त्रिपुरा के गवर्नर तथागत रॉय ने हाल ही में कहा कि देश में चल रही #Intolerance की जंग तभी बैलेंस हो सकती है जब मुसलमान खुले में पोर्क खाएं।
> वहीं, असम के गवर्नर पीबी आचार्य ने कहा कि हिंदुस्तान सिर्फ हिंदुओं के लिए है। उन्होंने कहा कि नेशनल रजिस्टर फॉर सिटीजंस में किसी भी बांग्लादेशी का नाम नहीं आना चाहिए।

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