अब तक सो रहा था मुसलमान ,,इसीलिए उपेक्षित होकर रो रहा था मुसलमान ,,,अब
तक इधर उधर भाई साहबों में बंटा था मुसलमान ,,इसीलिए सियासी उपेक्षा का
शिकार था मुसलमान ,,,कोटा में शहर कांग्रेस अध्यक्ष या फिर देहात कांग्रेस
अध्यक्ष में से किसी एक पद की मांग को लेकर कोटा का मुसलमान ,,अपने अपने
भाईसाहबों की वफ़ादारी के साथ इस मुद्दे पर एक हुए है ,,तय किया है के वोह
भाईसाहबों के बहकावे में आकर अब आपस में विवाद नहीं करेंगे ,,उलटे
भाईसाहबों से कहेंगे प्लीज़ इस बार कोटा शहर या फिर देहात अध्यक्ष में से
किसी एक पद पर हमारे भाई को अध्यक्ष बनवा दो ,,सभी लोगों की सोच है के
कांग्रेस में उपेक्षा का शिकार मुस्लिम समाज सिर्फ वोटर बनकर रह गया है या
फिर मुस्लिम कार्यकर्ताओं को भाई साहबों का पीछ लग्गू समझा जाने लगा है
लेकिन इसके दुष्परिणाम सामने आ रहे है ,,तटस्थ मुस्लिम वोटर नाराज़ होता जा
रहा है ,,,चुनाव के वक़्त कांग्रेस के मुस्लिम प्रतिनिधि जब कांग्रेस के
पक्ष में वोट मांगने जाते है तो वोटर उन्हें उपेक्षा के नाम पर दलाली के
नाम पर ,,चमचागिरी के नाम पर खरी खरी सुनाते है ,,ऐसे में कोटा में आबिद
कागज़ी ,,मंज़ूर तंवर ,,,,अल्सपंख्य्क विभाग के देहात अध्यक्ष साजिद जावेद
,,,गुड्डा कुरैशी ,,शाहिद मुल्तानी ,,,,सहित कुछ लोगों की पहल पर जब एक
ज़िम्मेदारां लोगों की बैठक हुई तो सभी का गुस्सा फुट पढ़ा सभी ने संकल्प
लिया के इस बार कोई समझोता नहीं ,,हर हाल में कोटा शहर कोटा देहात में एक
अध्यक्ष हमारे मुस्लिम समाज का चाहिए ,,वोह किसी भी भाईसाहब का यस मेन हो
इसमें भी किसी को कोई दिक़्क़त नहीं है ,,वैसे तो कोटा में कांग्रेस में पद
प्राप्त करने के लिए आम मसलमान कई बार एक जुट होने की कोशिशो में लगा
,,लेकिन कभी बैठक में हडडंग करवाई गई ,,कभी माइक तुड़वाये गए ,,,कभी
भाईसाहबों के इशारे पर समाज के लोग आपस में ही एक दूसरे के खून के दुश्मन
बन गए ,,नतीजा बांटो और राज करो की नीति के तहत कोटा में सियासी तोर पर
मुस्लिम समाज उपेक्षा का शिकार रहा ,,,लेकिन अब जब कांग्रेस का मुसलमान
वोटर खिसक रहा है तो कांग्रेस को बचाने के लिए ,,कांग्रेस को फिर से अपनी
पुरानी नीति ,,पुराने भाव में लाने के लिए कोटा में मुस्लिम वोटर्स को फिर
अपनी आकर्षित करने के लिए यहां देहात या फिर शहर में से एक जिला अध्यक्ष
समाज में से किसी को बनाना ज़रूरी हो गया है ,,कांग्रेस हाईकमान के पास इस
तरह की रिपोर्ट पहले से ही है ,,,उच्चस्तर पर लगभग ऐसा फार्मूला भी बना
,,लेकिन अचानक कोटा के हाईकमान बने भाईसाहबों ने कहीं खुद का नाम आगे कर
दिया तो कहीं ऐसे लोगों का जो कांग्रेस को सभी लोगों की नहीं अपनी जेबी
कांग्रेस समझते है ,,इसीलिए यह विद्रोह शुरू हुआ है ,,सभी जानते है इस बैठक
के बाद भाईसाहब लोग डेमेज कंट्रोल करेंगे ,,समझाने और धमकाने की बातें
करेंगे ,,,लेकिन इस बार सभी ने क़सम ली है ,,अल्लाह का रसूल का वास्ता लिया
है और संकल्प लिया है के आपस में नहीं झगड़ेंगे ,,,एक दूसरे के खिलाफ नहीं
बोलेंगे ,,भाईसाहबों और हाईकमान से सीधा कहेंगे अबकी बार समर्पित सो फीसदी
वोटर्स को कांग्रेस में मिले जिला स्तरीय नेतृत्व का अधिकार ,,देखते है आगे
क्या होता है ,,,मुस्लिम प्रतीनिधी ,,टूटते है ,,बिखरते है ,,एक जुट होते
है ,,या फिर अपने मंसूबों में कामयाब होकर कांग्रेस को कोटा में ज़िंदाबाद
करते है ,,,टूटने ,,बिखरने से बचाते है ,,लेकिन यह सच ,,कड़वा सच है के कल
सोमवार की मुस्लिम प्रतिनिधियों की बैठक इस समाज को उपेक्षित रखकर जूतियों
में बिठाकर खुश होने वाले कुछ भाईसाहबों के लिए गले की हड्डी बन गई है
,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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