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12 नवंबर 2015

एक असलम जिसकी क़लम के बाउन्सर से सारे भ्रस्ट लोगों में हड़कम्प था

दोस्तों एक असलम जो शेर था ,,,,,,एक असलम जिसकी क़लम के बाउन्सर से सारे भ्रस्ट लोगों में हड़कम्प था ,,एक असलम जो शेर की तरह अपनी बाउंसर पत्रिका में दहाड़ते थे ,,एक असलम जिन्होंने साप्ताहिक समाचार पत्र को विकट परिस्थितियों में भी प्रिंट मिडिया में दैनिक समाचार पत्रो के मुकाबले ऐसी पहचान दी ,,,जिसके प्रकाशन का ,,जिसकी खबरों का लोग बेसब्री से इन्तिज़ार करते थे ,,हालात कुछ ऐसे के असलम शेर की इस दहाड़ को पढ़ने के लिए लोग अख़बार पर झपट्टा मारकर पढ़ना चाहते थे ,,एक ऐसा पत्रकार जिसने पत्रकारिता की खबरों के मामले में बेहिसाब मुक़दमे झेले ,,जिनके खिलाफ सत्ता का दुरूपयोग कर कई नेताओ ने बदले की भावना से करवाहिया करवाई ,,लेकिन यह शेर डटा रहा ,,दहाड़ता रहा और इनकी खबरों से कई दर्जन अधिकारी ,,कर्मचारी निलंबित हुए ,,कई लोगों को नौकरी से हाथ धोना पढ़ा ,,तो कई नेताओं के चुनाव इनकी खबरों ने प्रभावित किये ,,,,कई नेताओ की जीती हुई बाज़ी हार में बदलने में इनकी क़लम की ताक़त का सबने लोहा माना है ,,,आज भी इनकी क़लम की दहाड़ के कारण कई खबरों पर भ्रष्टाचार निरोधक विभाग में मुक़दमे दर्ज होकर जाँचे चल रही है ,,,,दोस्तों अफ़सोस के साथ लिखना पढ़ रहा है के इस असलम के शेर की तरह दहाड़ने वाली क़लम अब हम ना पढ़ सकेंगे ना सुन सकेंगे ,,,,,कुल्लो नफ़सून ज़ायक़ायतुल मोत ,,हर इंसान को मोत का मज़ा चखना है ,,इसी सच को स्वीकार कर असलम शेर निर्भीक होकर दहाड़ते थे ,,,,,लेकिन दोस्तों कल शाम को असलम शेर ने किसी खबर के मामले में मुझ से फोन पर बात की और सुबह अचानक मेरे पत्रकार साथी के डी अब्बासी से खबर मिली के असलम शेर कल रात सोने के बाद साइलेंट अटैक होने से हमारे बीच नहीं रहे ,,इन्ना लिल्लाहि व् इन्ना इलैहे राजेऊन ,,,,,ऐ अल्लाह तेरी अमानत थी तेरी सुपुर्दगी में सौंप दी है ,,,एक साप्ताहिक समाचार पत्र के ज़रिये अपनी क़लम के नियमित जोहर दिखाने वाली इस शख्सियत के तेवर हमेशा शेर की तरह से रहे ,,,कभी किसी के आगे नहीं झुकना ,,बढ़े बढ़े नेताओ ,कद्दावर लोगों से आमने सामने की लड़ाई लड़ना इनका शेर जैसा स्वभाव था ,,इनकी क़लम शुरू में चमचे चापलूस लोगों को चाहे पसंद न आती हो लेकिन वोह भी चोरी चोरी चुपके चुपके इनके अख़बार को मंगा कर पढ़ते और सोचते के जो खबरे प्रकाशित हो रही है उन्हें रुकवा दी जाए ,,लेकिन ऐसे लोगों के सभी प्रयास इस शेर के आगे नाकाम साबित होते थे ,,,बिना किसी सरकारी मदद के पच्चीस सालो से एक साप्ताहिक अख़बार का नियमित प्रकाशन कोई मामूली बात नहीं ,,मियमित प्रकाशन ,,नियमित वितरण ,और अख़बार में लेखनी ऐसी के समाचार पत्र अगर वितरित होने में थोड़ी भी देरी हो जाए तो लोग इस अख़बार को तलाशते नज़र आते थे ,,,ऐसे असलम शेर जिसने पत्रकारिता को एक नियमतीकरण की नई दिशा ,,नए तेवर दिए ,,निर्भीकता की एक मिसाल पेश की ,,ऐसे पत्रकार के अचानक निधन पर पत्रकार समाज स्तब्ध है ,,आज कोटा किशोरपुरा स्थित उनके निवास से अधरशिला चंबल गार्डन क़ब्रिस्तान में उन्हें सुपुर्द ऐ ख़ाक किया गया ,,,,असलम शेर के स्वेम की फातेहा कल सुबह किशोरपुरा स्थित ईदगाह के पास मस्जिद में रखे गए है ,,,एक जांबाज़ शेर दिल पत्रकार को एक बार फिर अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि ,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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