नई दिल्ली. केरल की राजधानी तिरुअनंतपुरम के प्राचीन पद्मनाभस्वामी मंदिर में मौजूद खजाने और इसके तहखानों का केस सुप्रीम कोर्ट के पास
है। जिसमें कोर्ट ने कहा है कि भगवान को किस श्लोक से जगाया जाए, यह आस्था
का सवाल है। हम इसे कैसे तय कर सकते हैं। मंदिर के सबसे बड़े पुजारी
परमेश्वरन नंबूदरी इसका फैसला करें। बता दें कि 2 हजार साल पुराने इस मंदिर
की निगरानी सुप्रीम कोर्ट कर रहा है। 2011 में कैग की निगरानी में
पद्मनाभस्वामी मंदिर से करीब एक लाख करोड़ रुपए मूल्य का खजाना निकाला गया
था। इसे भारत का सबसे अमीर मंदिर भी कहा जाता है।
क्या है मंदिर की कहानी
भगवान विष्णु को समर्पित पद्मनाभस्वामी मंदिर को त्रावणकोर के राजाओं
ने बनाया। इसका जिक्र 9 सदी के ग्रंथों में मिलता है, लेकिन मंदिर के
मौजूदा स्वरूप को 18वीं शताब्दी में बनाया गया। मान्यता है कि इस जगह भगवान
विष्णु की मूर्ति मिली थी, इसके बाद राजा मार्तण्ड ने यहां मंदिर बनवाया।
सन् 1750 में महाराज मार्तण्ड ने खुद को पद्मनाभ दास बताया। इसके बाद
त्रावणकोर शाही परिवार ने खुद को भगवान के लिए समर्पित कर दिया। माना जाता
है कि इसी वजह से त्रावणकोर के राजाओं ने अपनी सारी दौलत पद्मनाभ मंदिर को
सौंप दी। हालांकि त्रावणकोर के राजाओं ने 1947 तक राज किया। आजादी के बाद
इसे भारत में मिला लिया, लेकिन पद्मनाभस्वामी मंदिर को सरकार ने कब्जे में
नहीं लिया। इसे त्रावणकोर के शाही परिवार के पास ही रहने दिया। तब से मंदिर
का कामकाज शाही परिवार के अधीन एक प्राइवेट ट्रस्ट चलाता आ रहा है।
जानें, मंदिर में जाने के नियम
तिरुअनंतपुरम में मौजूद भगवान विष्णु का मंदिर काफी फेमस है। भारत के वैष्णव मंदिरों में शामिल यह ऐतिहासिक मंदिर केरल के पर्यटन और धर्मिक आस्था का केंद्र है। मंदिर के गर्भगृह में भगवान विष्णु की बड़ी मूर्ति रखी है। इसमें भगवान विष्णु शेषनाग पर शयन मुद्रा में विराजे हुए हैं। भगवान विष्णु की विश्राम अवस्था को 'पद्मनाभ' कहा जाता है। इसी वजह से मंदिर को पद्मनाभस्वामी और भगवान के 'अनंत' नाग के नाम शहर को तिरुअनंतपुरम नाम मिला था। अपनी भव्यता के लिए मशहूर मंदिर में जाने के लिए पुरुषों को धोती और महिलाओं को साड़ी पहनना जरूरी है।
तिरुअनंतपुरम में मौजूद भगवान विष्णु का मंदिर काफी फेमस है। भारत के वैष्णव मंदिरों में शामिल यह ऐतिहासिक मंदिर केरल के पर्यटन और धर्मिक आस्था का केंद्र है। मंदिर के गर्भगृह में भगवान विष्णु की बड़ी मूर्ति रखी है। इसमें भगवान विष्णु शेषनाग पर शयन मुद्रा में विराजे हुए हैं। भगवान विष्णु की विश्राम अवस्था को 'पद्मनाभ' कहा जाता है। इसी वजह से मंदिर को पद्मनाभस्वामी और भगवान के 'अनंत' नाग के नाम शहर को तिरुअनंतपुरम नाम मिला था। अपनी भव्यता के लिए मशहूर मंदिर में जाने के लिए पुरुषों को धोती और महिलाओं को साड़ी पहनना जरूरी है।
क्यों खास है यह मंदिर
गौरतलब है कि पद्मनाभस्वामी मंदिर के पांच तहखानों को खोलने के बाद एक लाख करोड़ रुपए का खजाना मिला था। यह सभी तहखाने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर खोले गए थे। मगर छठे तहखाने के संबंध में मंदिर प्रशासन का कहना है कि भगवान नहीं चाहते कि छठा तहखाना खुले और मंदिर की संपत्ति बाहर जाए। मंदिर प्रशासन ने संपत्ति और तहखाने को लेकर दैवीय इच्छा जानने के लिए देव प्रश्नम आयोजित किया था। कुछ लोगों का कहना है कि अगर छठे तहखाने को खोला गया तो प्राकृतिक आपदा आ सकती है।
गौरतलब है कि पद्मनाभस्वामी मंदिर के पांच तहखानों को खोलने के बाद एक लाख करोड़ रुपए का खजाना मिला था। यह सभी तहखाने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर खोले गए थे। मगर छठे तहखाने के संबंध में मंदिर प्रशासन का कहना है कि भगवान नहीं चाहते कि छठा तहखाना खुले और मंदिर की संपत्ति बाहर जाए। मंदिर प्रशासन ने संपत्ति और तहखाने को लेकर दैवीय इच्छा जानने के लिए देव प्रश्नम आयोजित किया था। कुछ लोगों का कहना है कि अगर छठे तहखाने को खोला गया तो प्राकृतिक आपदा आ सकती है।
कैग ने कहा था- मंदिर की कहानियां झूठी
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पूर्व नियंत्रक लेखा महापरीक्षक (CAG) विनोद राय ने मंदिर के तहखानों की कहानियों को खारिज किया था। 2011 में कैग की निगरानी में पद्मनाभस्वामी मंदिर से करीब एक लाख करोड़ रुपए मूल्य का खजाना निकाला गया था। हालांकि उस वक्त कई प्रचलित कहानियों के चलते मंदिर के छठे तहखाने को नहीं खोला गया था। एस कहानी के मुताबिक मंदिर के तहखानों में कोबरा जैसे जहरीले सांप मौजूद हैं, जो इस खजाने की रक्षा करते हैं और किसी को तहखाने में जाने की इजाजत नहीं है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पूर्व नियंत्रक लेखा महापरीक्षक (CAG) विनोद राय ने मंदिर के तहखानों की कहानियों को खारिज किया था। 2011 में कैग की निगरानी में पद्मनाभस्वामी मंदिर से करीब एक लाख करोड़ रुपए मूल्य का खजाना निकाला गया था। हालांकि उस वक्त कई प्रचलित कहानियों के चलते मंदिर के छठे तहखाने को नहीं खोला गया था। एस कहानी के मुताबिक मंदिर के तहखानों में कोबरा जैसे जहरीले सांप मौजूद हैं, जो इस खजाने की रक्षा करते हैं और किसी को तहखाने में जाने की इजाजत नहीं है।
रोचक जानकारी प्रस्तुति हेतु आभार!
जवाब देंहटाएंक्या ये खजाना सरकार ने अपने कब्जे में लिया या नहीं?