राजस्थान में भाजपा की पूर्व प्रवक्ता श्रीमती सुमन शर्मा को राजयमहिला
आयोग का सदस्य बना तो दिया है ,,लेकिन राजस्थान में महिलाओ को इंसाफ और मान
सम्मान दिलवाने को लेकर उनके सामने कड़ी चुनौतियां है ,,कांग्रेस सरकार के
कार्यकाल में सुमन शर्मा महिला उत्पीड़न के जो मामले उठाती रही है अब
उन्हें खुद को महिलाओ की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी मिलने पर वोह कैसे निभा
पाएंगी यह वक़्त ही बताएगा ,,सुमन शर्मा यूँ तो सहज ,,सरल ,,प्रबुद्ध
,,खुशमिजाज़ महिला नेत्री है वोह बहुुमुखी प्रतिभा की धनि है ,,एक तरफ तो
वोह मुख्यमंत्री वसुंधरा सिंधिया की विश्वसनीय है दूसरी तरफ उनके दिल में
महिला उत्पीड़न का दर्द और उनके निराकरण की पुख्ता कार्य योजना है लेकिन
इतीहास गवाह है ,,जो मुख्यमंत्री के निकटतम होता है अव्वल तो प्रमुख पद उसे
ही मिलते है ,,लेकिन मुख्यमंत्री के चहेते अधिकारियो और उत्पीड़न करने
वालो के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं कर पाने से वोह हीरो से ज़ीरो हो जाता है
,,,यहां भी सुमन शर्मा को अब शायद पहली बार ज़मीर से समझोता करके कई मामलों
में नरम रुख अपनाने से ,,या चुप्पी साधने से अपनी पुरानी साख की किरकिरी
होता देखना पढ़े ,,,,,,,,,,,,,सुमन शर्मा अनुभवी महिला है वोह लगातार
राजस्थान की महिलाओ से सीधी जुडी रही है ,, भाजपा महिला की अध्यक्ष होने
के कारण सुमन शर्मा महिलाओ की समस्याओ और उनके समाधान से खूब परिचित है और
उनके पास महिलाओ की सुरक्षा ,,कल्याण के भी महत्वपूर्ण सुझाव है
,,,राजस्थान में दहेज़ प्रताड़ना ,,दहेज़ हत्या ,,महिलाओ का योन उत्पीड़न
,,छेड़छाड़ की तो आम घटनाये है ही सही ,,साथ ही कामकाजी महिलाओ की सुरक्षा
उनकी सरकारी ड्यूटी के वक़्त उनसे अनावश्य दूसरे काम लेकर उन्हें प्रताड़ित
करने की आम शिकायते है ,,गांव में औरतों को डायन बताकर आज भी पीटा जाता है
,,दहेज़ के लिए कई शादियां नहीं हो पाती है ,,कई बहुए प्रताड़ित होती है
,,महिला थानो में मुक़दमे दर्ज नहीं होते है ,,अगर दर्ज हो जाते है तो
तफ्तीश के नाम पर आरोपियों को बचाने की आम शिकायते है ,,राजपूत और मुस्लिम
महिलाओ को फरियादी और गवाह होने पर भी थाने पर तफ्तीश के नाम पर अनावश्यक
बुला कर प्रताड़ित करने की आम शिकायते है ,,मुस्लिम महिलाओ के महर हड़पने की
आम कहानी है ,,,बाल विवाह ,,घरेलु हिंसा रुक नहीं रहे है ,,घरेलू हिंसा
क़ानून बन तो गया लेकिन ,,इसे पूरी तरह से आज तक लागू नहीं किया जा सका है
,,दहेज़ प्रतििषेध अधिकारियो की नियुक्ति नहीं है ,,,घरेलू हिंसा क़ानून के
तहत प्रोटेक्शन ऑफिसर पृथक से तैनात नहीं किये गए है ,,पृथक से घरेलू हिंसा
की अदालते नहीं खोली गई है ,,गाँव में और कई समाजो में आज भी महिलाओ को
नाता प्रथा के नाम पर खरीदा बेचा जा रहा है ,,,,,,,,,कुल मिलाकर महिलाओ के
न्याय और कल्याण के लिए सरकार को बहुत कुछ करना बाक़ी है ,,,पुलिस में
महिला अधिकारियो और महिला सिपाहियों की स्थिति अजमंजस की है ,,,,,,,सियासत
के नाम पर महिलाओ के शोषण की बात खुद मंत्री स्वीकारने लगे है ,,,,ऐसे में
जब महिला आयोग की एक मात्र अध्यक्ष नियुक्त हुई है ,,पूरी टीम जिसमे महिला
समस्याओ की जानकार ,,समाजसेविका ,,कानूनविद हो उनकी नियुक्ति अभी तक नहीं
की गई है ,,आयोग अकेली अध्यक्ष से नहीं चलता पुरे सदस्यों और सचिव के गठन
के साथ ही आयोग का गठन होता है ऐसे में अकेली सुमन शर्मा कहने को तो राज्य
महिला आयोग की अध्यक्ष है लेकिन विधिक रूप से किसी समस्या को सुनने
,,प्रसंज्ञान लेने ,,सम्मन कर जवाब तलब करने की क़ानूनी स्थिति में नहीं है
,,मंत्री दर्जा ,,भत्ता ,,वेतन ,,सर्किट हाउस सुविधा ,बैठको के नाम पर सेर
सपाटे तो खूब मिल जाएंगे लेकिन बिना पूर्ण आयोग के गठन के कुछ भी किया जाना
सम्भव नहीं है ,इसलिए कहते है के सुमन शर्मा के समक्ष अभी उनके इस पद को
उनकी ख्याति के तहत निर्वहन करने में कढ़ी चुनौतियों का सामना करना पढ़ेगा
,,,और इनकी छवि अगर इस काम में धूमिल हुई तो इनका सियासी भविष्य भी धूमिल
होने की संभावना है इसलिए सुमन शर्मा को इस कांटो के ताज को पहनकर सावधानी
,कड़ी महनत ,,ईमानदारी से काम करना है ,,क्योंकि सावधानी हठी और दुर्घटना
घाटी ,,राजस्थान में राष्ट्रिय महिला आयोग से जुडी पूर्व अध्यक्ष श्रीमती
ममता शर्मा ,,यासमीन अबरार ,,सुश्री गिरजा व्यास की कार्यशैली भी अनुकरणीय
है इसलिए आम जनता उनके कार्य से भी इनके कार्य की तुलना कर देखेगी
,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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