कहावत है बकरे की माँ आखिर कब तक खेर मनाएगी ,,यह कहावत झालावाड़ मेडिकल
कॉलेज के नियुक्ति घोटाले के सरताजो को बचाने वाले भ्रष्टाचार निरोधक विभाग
और उनके चहेतो के लिए सही साबित होने जा रही है ,,,,वर्ष दो हज़ार तेरह में
कोटा के अब्दुल सलाम शेरवानी ने एडवोकेट अख्तर खान अकेला के ज़रिये कोटा
भ्रस्टाचार निरोधक न्यायालय के ज़रिये एक परिवाद तात्कालिक झालावाड़ अस्पताल
अधीक्षक डॉक्टर सुषमा पाण्डे ,,डीन डॉक्टर पी के गुप्ता ,,,हरिशंकर वर्मा
,,ओमेन्द्र माथुर ,,मनोज गोयल सहित कई लोगों के खिलाफ
मेडिकल कॉलेज में फ़र्ज़ी नियुक्त्या कर अपने चहेतों को फायदा पहुंचाने का
मुक़दमा दर्ज करवाया था ,,भ्रष्टाचार निरोधक पुलिस ने अपराधियो से सांठ गाँठ
कर कई महीनो बाद मुख्य अभियुक्तो के नाम निकाल कर परिवाद का सार बदल कर
परिवाद के तथ्य तो ताक़ में रख दिए और खुद ने एक नई प्रथम सुचना रिपोर्ट 127
/13 दर्ज कर अपराधियो को खुला छोड़ दिया ,,इस मामले में फरियादी सलाम
शेरवानी ने हार नहीं मानी पहले कोटा भ्रष्टाचार निरोधक अदालत में
भ्रस्टाचार पुलिस के तथ्य उजागर कर कार्यवाही की मांग की ,,अदालत ने
पत्रावली तलब की मजबूरीवश पुलिस को लाभार्थियों को भी अभियुक्त बनाने के
बारे में अंडरटेकिंग देना पढ़ी ,,फिर पुलिस और भ्रष्टाचार के आरोपियों की
सांठ गाँठ चलती रही ,,मिडिया मैनेजमेंट चलता रहा ,,फिर फरियादी सलाम
शेरवानी को वक़्त निकलने के बाद भ्रष्टाचार निरोधक पुलिस के खिलाफ त्वरित
तफ्तीश का प्रार्थना पत्र पेश करना पढ़ा ,,पुलिस ने सभी को अभियुक्त मानकर
एक माह में कार्यवाही करने बाबत भ्रष्टाचार निरोधक अदालत में अंडरटेकिंग दी
,,लेकिन पुलिस और अपराधियो के बीच ना जाने कोनसे संबंध है जो अभी तक
भ्रस्टाचार पुलिस इन काले कारनामे करने वाले सफेदपोश अपराधियो को अब तक
नहीं पकड़ सकी है ,,खेर फरियादी ने इस मामले में राजस्थान हाईकोर्ट का
दरवाज़ा खटखटाया ,,हाईकोर्ट ने भ्रष्टाचार निरोधक पुलिस को नोटिस जारी किये
,,पत्रावली का अवलोकन किया और नवंबर तक इस मामले में कार्यवाही के निर्देश
जारी कर कोटा भ्रष्टाचार निरोधक पुलिस के लिए डेड़ लाइन घोषित कर दी है
,,,अब देखना है के कोटा भ्रष्टाचार निरोधक पुलिस झालावाड़ मेडिकल कॉलेज के
नियुक्ति घोटाले आरोपियों को क्या बहाना कर बचाने का प्रयास करती है
,,,,,,,,,,,,,,,,,वैसे कुछ लोगों का कहना है के कोटा भ्रष्टाचार पुलिस इस
मामले में सफेद पॉश अपराधियो को छोड़ने के लिए पहले नियुक्ति प्राप्त करने
वाले छोटे आरोपियों को अपना निशाना बनाकर जांच को भटका सकती है ,,खेर जो भी
हो लेकिन अब कहावत सच होने वाली है के ,,बकरे की माँ कब तक खेर मनाएगी
,,,,,,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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