तुम मिलने लगे थे
चाहे टुंगा टुंगा कर ही सही
में मरना हरगिज़ नहीं चाहता
सिर्फ तुम्हारे लिए
जीने की तमन्ना थी
लेकिन बेबस हूँ
मोत पर किसी का बस नहीं ,,अख्तर
चाहे टुंगा टुंगा कर ही सही
में मरना हरगिज़ नहीं चाहता
सिर्फ तुम्हारे लिए
जीने की तमन्ना थी
लेकिन बेबस हूँ
मोत पर किसी का बस नहीं ,,अख्तर
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