कितना अच्छा हुआ
तुम मेरे
अच्छे दिनों के साथी रहे
कितना अच्छा हुआ
तुम मेरे बुरे दिनों में
मुझ से ख़ुशी से अलग हो गए
कितना अच्छा हुआ
तुम्हे मुझ से प्यार न हुआ
तुम्हे मुझसे अगर प्यार होता
मेरे बुरे दिन देख कर
तुम्हे जो दिली तकलीफ होती
वोह मुझ से देखी नहीं जाती
कितना अच्छा हुआ
जो मेरे बुरे दिनों में तुमने
मुझ से किनारा कर लिया ,,,अख्तर
तुम मेरे
अच्छे दिनों के साथी रहे
कितना अच्छा हुआ
तुम मेरे बुरे दिनों में
मुझ से ख़ुशी से अलग हो गए
कितना अच्छा हुआ
तुम्हे मुझ से प्यार न हुआ
तुम्हे मुझसे अगर प्यार होता
मेरे बुरे दिन देख कर
तुम्हे जो दिली तकलीफ होती
वोह मुझ से देखी नहीं जाती
कितना अच्छा हुआ
जो मेरे बुरे दिनों में तुमने
मुझ से किनारा कर लिया ,,,अख्तर
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