सारे जहाँ से अच्छा हिन्दुस्तान हमारा ,, हम बुलबुले है इसके ,,यह
गुलिस्तां हमारा ,,हिंदी है हम हिंदुस्तान हमारा ,,जी हाँ दोस्तों भारत देश
की मात्र भाषा हिंदी ,,भारत देश की संविधान की भाषा हिंदी ,,,,,,भारत देश
के प्रधानमंत्री हिंदी समर्थित ,हाल ही में देश में बत्तीस साल बाद भोपाल
में आयोजित दसवे विश्व हिंदी सम्मेलन में शामिल हुए ,,उन्होंने चाय बेचते
हुए हिंदी सीखी यह तो उन्होंने लोगों को बताया लेकिन एक प्रधानमंत्री की
हैसियत से वोह हिंदी को पुरे देश में लागू करने के लिए क्या कर
रहे है ,,उनकी क्या कार्य योजना है यह उन्होंने नहीं बताई ,,दोस्तों
हिंदी हमारी मात्र भाषा है कोई सियासत की चीज़ नहीं ,,इस पर सियासत नहीं
सिर्फ और सिर्फ काम होना चाहिए ,,हम कांग्रेस की हिंदी विरोधी नीतियों पर
नहीं जाना चाहते लेकिन भाजपा की पहले भी सरकार रही है हिंदी समर्थित अटल
बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे ,,अब नरेंद्र मोदी भारत माता की जय बोलने
वाले हिंदी भाषी समर्थित प्रधानमंत्री है ,,उन्हें और उनके समर्थको को
हिंदी के बारे में सोचना चाहिए ,,,हिंदी को पुरे देश में लागू करने के बारे
में केवल भारतेंदु हरिश्चंद्र का जन्म दिवस मनाकर हंसी ठिठोली ,,चाय
नाश्ता करने से कोई काम नहीं होगा ,,क़ानून बने ,,संविधान संशोधन हो
,,,क़ानून में लिखा जाए कोई भी आवेंदन चाहे लाइसेंस का हो ,,रेलवे आरक्षण का
हो ,,,पंच ,,सरपंच ,,,विधायक ,,पार्षद ,,लोकसभा ,,राजयसभा ,,राष्ट्रपति का
हो जो भी आवेदन हो वोह सिर्फ स्वलिखित हिंदी में भरा जाए बस सभी लोग
हिंदी जाने लगेंगे ,,हिंदी पढ़ने लगेंगे ,,पुरे देश में कोई व्यवसायिक
प्रतिष्ठान हो अपनी मन पसंद भाषा के अलावा हिंदी में आवश्यक रूप से बोर्ड
पर संस्थान का नाम लिखने की अनिवार्यता हो हिंदी पुरे देश में छा जायेगी
,,क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खूब अच्छी तरह से जानते है ,,आज अगर
दक्षिण भारत ,,,उड़ीसा ,,,बंगाल ,,गुजरात ,,महाराष्ट्र ,,,बिहार सहित कई
राज्यों में जाओ तो वहां हिंदी बोलने ,,लिखने ,,पढ़ने ,,सुनने वाला भी नहीं
,,ऐसे में अगर सभी संस्थाओ के बोर्ड ,,विज्ञापन बोर्ड में हिंदी की
अनिवार्यता हो जाए तो हिंदी पुरे देश की सच में ज़ुबान बन सकेगी वरना यूँ
सियासत के नाम पर हिंदी की सिर्फ हिंदी ही करने वाले सियासी लोग समारोह को
औपचारिक ही करते रहेंगे ,,मेरी इस पोस्ट को इस सुझाव को बिना किसी सियासी
पूर्वाग्रह ,,,बिना किसी चमचागिरी की सोच के राष्ट्रिय सोच ,,हिंदी प्रेमी
निष्पक्ष सोच के साथ पढ़िए और प्लीज़ सुझाव दीजिये ,हो सके तो प्रधामंत्री
नरेंद्र मोदी जी पर दबाव बनाइये क्योंकि वोह ही ऐसी शख्सियत है जो हिंदी से
प्रेम करने के कारण पुरे देश में यह सब कर सकते है ,,हम देशवासियो पर
हिंदी थोपने की बात नहीं कर रहे हिंदी की अनिवार्यता की बात कर रहे है ताकि
हमारी संस्कृति पुनर्जीवित हो सके ,,हम ज़िंदाबाद हो सके ,,,,,,,,अख्तर खान
अकेला कोटा राजस्थान
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