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23 सितंबर 2015

अमेरिका के अरिजोना में मौजूद विमानों का कब्रिस्तान।
अमेरिका के अरिजोना में मौजूद विमानों का कब्रिस्तान।
अरिजोना। 2600 एकड़ में फैला ये है अमेरिका के अरिजोना का टक्सन रेगिस्तान। ये आकार में 1300 फुटबॉल मैदानों के बराबर है। यहां हजारों की संख्या में कई पीढ़ी के पुराने सैन्य विमानों की पूरी खेप मौजूद है। बोनयार्ड के नाम से मशहूर इस जगह को विमानों के कब्रिस्तान के रूप में जाना जाता है। बोनयार्ड में कार्गो लिफ्टर से लेकर बॉम्बर प्लेन, ए10 थंडरबोल्ट्स, हर्क्युलस फाइटर्स और एफ-14 टॉमकैट फाइटर्स तक कई विमान मौजूद हैं। अमेरिका का 309वां एयरोस्पेस मेंटेनेंस एंड रीजनरेशन ग्रुप यहां पहुंचने वाले विमानों की मरम्मत करता है और कुछ विमानों को उड़ने लायक बनाता है।
माइक्रोसॉफ्ट बिंग ने सैटेलाइट के जरिए इसकी बेहतरीन फोटोज तैयार कीं। इसमें बोनयार्ड को तीन हिस्सों में देखा जा सकता है। 2005 में जब सैटेलाइट इमेजरी सॉफ्टवेयर लॉन्च हुआ था, तब ये जगह गूगल अर्थ यूजर्स के लिए उत्सुकता की वजह बनी हुई थी। हालांकि, अब सैटेलाइट के जरिए इसकी कहीं ज्यादा साफ फोटो देखी जा सकती है।
अरबों रुपए कीमत के विमान हैं मौजूद
अरिजोना में ही मौजूद डेविस मॉनथन एयरफोर्स बेस में 35 बिलियन डॉलर (2157 अरब रुपए) के पुराने विमानों के सही-सलामत हिस्से सहेजकर रखे जाते हैं। ये करीब 4,400 एयरक्राफ्ट्स का घर है। वहीं, स्टील के साढ़े तीन लाख सामानों का ये कब्रिस्तान है। इंजन, वॉर मेटेरियल, वायरिंग और इलेक्ट्रॉनिक्स से लेकर मरम्मत किए हुए विमानों के अन्य पार्ट्स यहां कम कीमत में मिलते हैं। अमेरिकी सरकार ने दूसरे देशों को भी यहां से पुराने पार्ट्स और विमान खरीदने की छूट दे रखी है।
हॉलीवुड फिल्मों में भी दिखी झलक
यहां रखे गए विमानों में नए से लेकर अमेरिकी सेना द्वारा सेकंड वर्ल्ड वॉर में इस्तेमाल किए गए विमान तक शामिल हैं। इनमें शीत युद्ध के दौर का बॉम्बर प्लेन बी-52 भी शामिल हैं जिसे 1990 में अमेरिका और सोवियत संघ के बीच हुए एक निशस्त्रिकरण समझौते के बाद बेड़े से हटा दिया गया था। पिछले 60 साल से इस जगह का इस्तेमाल मिलिट्री विमान को रखने के लिए किया जा रहा है। यहां के अनोखे नजारों को हॉलीवुड ने ट्रांसफॉर्मर जैसी फिल्मों में भी जगह दी है। इसकी स्थापना द्वितीय विश्वयुद्ध के ठीक बाद की गई थी। इस जगह का चुनाव भी इसकी ऊंचाई और शुष्क परिस्थितियों को देखते हुए किया गया था। इसके पीछे कारण यह था कि यहां विमान बाहर रखने के बाद भी जल्दी खराब नहीं होंगे।

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