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23 सितंबर 2015

पहाड़ पर बने इस मंदिर पर फहराया जाता है तिरंगा, अंग्रेज देते थे यहां फांसी

पहाड़ी मंदिर पर फहराया गया तिरंगा।
पहाड़ी मंदिर पर फहराया गया तिरंगा।
रांची. वर्ल्ड टूरिज्म डे 27 सितम्बर को मनाया जा रहा है। इस मौके पर dainikbhaskar.com देश के टूरिस्ट डेस्टिनेशन के बारे में बता रहा है। इसी सीरीज के तहत हम आपको बता रहे हैं पहाड़ी मदिर के बारे में। झारखंड की राजधानी रांची के पहाड़ी मंदिर की कहानी बेहद ही रोचक है। पहाड़ पर स्थित भगवान शिव का यह मंदिर देश की आजादी के पहले अंग्रेजों के कब्जें में था और वो यहां फ्रीडम फाइटर्स को फांसी दिया करते थे। आजादी के बाद से ही इंडिपेंडेंस डे और रिपब्लिक डे के दिन इस मंदिर पर धार्मिक झंडे के साथ राष्ट्रीय झंडे को भी फहराया जाता है। यह देश का पहला मंदिर है जहां तिरंगा फहराया जाता है।
रांची रेलवे स्टेशन से 7 किलोमीटर की दूर स्थित भगवान शिव के इस मंदिर को पहाड़ी मंदिर के नाम से जाना जाता है। पहाड़ी बाबा मंदिर का पुराना नाम टिरीबुरू था, जो आगे चलकर ब्रिटिश के समय में 'फांसी गरी' में बदल गया, क्योंकि अंग्रेजों के राज में यहा फ्रीडम फाइटर्स को फांसी पर लटकाया जाता था।
आजादी के बाद रांची में पहला तिरंगा झंडा यहीं पर फहराया गया था, जिसे रांची के ही एक स्वतंत्रता सेनानी कृष्ण चन्द्र दास ने फहराया था। उन्होंने यहां पर शहीद हुए फ्रीडम फाइटर्स की याद और सम्मान में तिरंगा फहराया था। उसी समय से हर साल इंडिपेंडेंस डे और रिपब्लिक डे पर यहा तिरंगा फहराया जाता है। पहाड़ी मंदिर में एक पत्थर लगा हुआ है, जिसपर जिसमें 14 और 15 अगस्त, 1947 की आधी रात को देश की आजादी का मैसेज लिखा हुआ है।
मंदिर से दिखता है पूरा रांची शहर
यह मंदिर समुद्र तल से 2140 फीट और जमीन से 350 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। मंदिर तक पहुंचाने के लिए 468 सीढियां चढ़नी पड़ती है। मंदिर से पूरा रांची शहर का देखा जा सकता है। पहाड़ी मंदिर में भगवान शिव की लिंग रूप में पूजा की जाती है। शिवरात्रि और सावन के महीने में यहां शिव भक्तों की काफी भीड़ रहती है।

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