खंडवा/इंदौर। यह कहानी है दिनेश और सुष्मिता की। दिनेश मेघवाल
(24) निवासी उदयपुर ग्राम लकड़वास और सुष्मिता बागरी (22) निवासी सतना की
पहली मुलाकात 2013 में अस्पताल में हुई। दिनेश वहां केयर टेकर थे।
सुष्मिता बचपन से एक बीमारी से पीड़ित थी। जिसका इलाज कराने पहुंची थी।
जन्म के समय पीठ पर हुआ फोड़ा उसके जीवन की टीस बन गया। इंफेक्शन पैरों तक
पहुंच गया। डॉक्टरों ने गलत पैर का ऑपरेशन कर दिया। वह दोनों पैरों से
अपंग हो गई। कभी अपने पैरों पर खड़ी नहीं हो सकी। उसे ऐसी बीमार है जिसका
डॉक्टर आज तक नाम भी नहीं बता पाए। यह सब जानने के बावजूद दिनेश ने उसे
जीवनसाथी बनाने की ठान ली।
सुष्मिता के माता-पिता ने मना किया लेकिन वह नहीं माना। मई 2014 में
शादी कर ली। सुष्मिता के परिजन ने उसे जान से मारने की कोशिश की। दोनों ने
हिम्मत नहीं हारी। दिनेश ने नौकरी खोजी। इंदौर, भोपाल, जबलपुर नौकरी तलाशने
निकल पड़ा। काफी भटकने के बाद खंडवा में निजी कंपनी में नौकरी मिल गई।
यहां रहने लगे। दिनेश ने सुष्मिता को हिम्मत दी। दिनरात देखभाल की। कृत्रिम
पैर लगाए। अब सुष्मिता कुछ मिनट अपने पैरों से खड़े होकर चलने लगी है।
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