हँस के हर एक गम को मैं सहता रहा तेरे बगैर
रात भर तनहाई में जलता रहा तेरे बगैर
फूल सा बिस्तर मुझे चुभता है काँटों की तरह
चाँदनी से ये बदन जलता रहा तेरे बगैर
रात भर तनहाई में जलता रहा तेरे बगैर
फूल सा बिस्तर मुझे चुभता है काँटों की तरह
चाँदनी से ये बदन जलता रहा तेरे बगैर
मयकदे मे अब नहीं है कैफ व मस्ती व सुरूर
हाथ में सागर लिए फिरता रहा तेरे बगैर
उफ ये नशा-ए-हिज्र ये सरगोशी-ए-बाद-ए-सबा
रातभर मैं करवटे लेता रहा तेरे बगैर
ये मेरी तनहाइयाँ डसती है नागिन की तरह
आरिफ़ ये गम-ए-दिल है सुलगता रहा तेरे बगैर
हाथ में सागर लिए फिरता रहा तेरे बगैर
उफ ये नशा-ए-हिज्र ये सरगोशी-ए-बाद-ए-सबा
रातभर मैं करवटे लेता रहा तेरे बगैर
ये मेरी तनहाइयाँ डसती है नागिन की तरह
आरिफ़ ये गम-ए-दिल है सुलगता रहा तेरे बगैर
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